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रामलीला मैदान पर अनशन शुक्रवार से

१८ अगस्त २०११

जन लोकपाल के लिए मुहिम चला रहे समाजसेवी अन्ना हजारे के सामने आखिरकार भारत सरकार को झुकना ही पड़ा और उन्हें नई दिल्ली के रामलीला मैदान में 15 दिन तक अनशन करने की अनुमति दे दी गई है.

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A supporter wears a picture of Indian rights activist Anna Hazare at the site where he was detained prior to beginning a hunger strike in New Delhi, India, Tuesday, Aug. 16, 2011. The prominent activist who had announced an indefinite hunger strike to demand tougher anti-corruption laws was detained early Tuesday morning, police said. (AP Photo/Manish Swarup)
तस्वीर: AP

ताजा घटनाक्रम से सरकार पर यह साबित करने के लिए दबाव और बढ़ा है कि वह हर स्तर पर फैले भ्रष्टाचार से निपटने में सक्षम है. गांधीवादी मूल्यों को अपना आदर्श बताने वाले 74 वर्षीय अन्ना हजारे को मंगलवार को उस वक्त गिरफ्तार कर लिया गया जब वह भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कानून की मांग के साथ आमरण अनशन पर बैठने वाले थे. उनकी गिरफ्तारी का देश भर में भारी विरोध हुआ और सरकार बैकफुट पर आ गई है.

हजारे की इंडिया अगेंस्ट करप्शन मुहिम के प्रवक्ता अवस्थी मुरलीधरन ने बताया, "पुलिस ने सात दिनों का प्रस्ताव रखा और वह एक महीना चाहते थे. इसके बाद हुई बातचीत में 15 दिन पर सहमति बनी. पुलिस ने रामलीला मैदान में आने वाले लोगों की संख्या पर कोई पाबंदी नहीं लगाई है. अन्ना इन शर्तों को स्वीकार करते हैं और इसीलिए वह तिहाड़ जेल से रिहा होने पर सहमत हुए हैं." अन्ना के सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि अन्ना एक और रात तिहाड़ जेल में रहेंगे. मैंने अन्ना जी से बातचीत की है. रामलीला मैदान के हालात देखते हुए वह शुक्रवार को रामलीला मैदान पहुंचेंगे. इसलिए वहां गुरुवार से शुरू होने वाला अनशन शुक्रवार से होगा.

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हजारे को मिल रहा है जनता का समर्थनतस्वीर: AP

'यह कोई जीत नहीं है'

पूर्व महिला आईपीएस अधिकारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे की मुहिम में सक्रिय किरण बेदी कहती हैं, "हम में से कोई भी इसे जीत के तौर पर नहीं देख रहा है. हम कोई खेल नहीं खेल रहे हैं. हम यह सब देश को आगे बढ़ाने के लिए कर रहे हैं." पुलिस ने मंगलवार शाम को ही अन्ना हजारे की रिहाई के आदेश दे दिए लेकिन हजारे ने अनशन करने की गारंटी मिले बिना जेल से बाहर निकलने से इनकार कर दिया. जो सरकार पहले उन्हें तीन दिन तक ही अनशन की अनुमति देने पर अड़ी थी, अब उसने यह अवधि बढ़ा कर दो हफ्ते कर दी है.

अन्ना हजारे की गिरफ्तारी पर देश भर के शहरों और गांवों में दसियों हजार लोग सड़कों पर उमड़े. जैसे ही सरकार के साथ रिहाई पर हजारे की टीम की सहमति बनी तो तिहाड़ जेल के बाहर उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई. हाथों में तिरंगा और गिटार लिए बहुत से युवा गाने लगे, "अन्ना, हम आपके साथ हैं."

अन्ना हजारे की तबियत पर नजर रखने के लिए डॉक्टरों की एक टीम रखी गई है. उनकी तबियत बिगड़ने से सरकार के लिए संकट और गहरा सकता है.

लोगों का गुस्सा

इस पूरे मामले में सरकार बिल्कुल नाकाम दिखी. वह समझ नहीं पा रही है कि हजारे के साथ तनाव को कैसे दूर किया जाए और भारत के शहरी मध्य वर्ग में बढ़ते गुस्से को कैसे शांत किया जाए. भारतीय अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया अपने संपादकीय में लिखता है, "इससे पता चलता है कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार जनभावनाओं से किस कदर कटी हुई है. अगर आज चुनाव कराए जाएं तो कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के लिए सत्ता बचाना मुश्किल होगा." भारत में अगले आम चुनाव 2014 में होने हैं.

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हजारे से निपटना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया हैतस्वीर: AP

हजारे की गिरफ्तारी और फिर तुरंत ही रिहाई का फैसला दिखाता है कि मनमोहन सरकार के हाथ पैर किस कदर फूले हुए हैं. खैर, अब हजारे तिहाड़ से रिहा होने के बाद अनशन शुरू कर रहे हैं तो सबका ध्यान उनकी गिफ्तारी से हटकर भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम पर लगेगा. सरकार के लिए आने वाले दो हफ्ते सिरदर्द साबित हो सकते हैं. वहीं हजारे के आलोचक कहते हैं कि वह सरकार को ब्लैकमेल कर रहे हैं और अलोकतांत्रिक तरीका अपना रहे हैं.

कमजोर विपक्ष की वजह से सरकार के अस्तित्व को कोई खतरा नहीं दिखता, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम से आर्थिक सुधारों की रफ्तार पर भी असर पड़ सकता है जो पहले ही सामने आए एक के बाद एक घोटालों की मार झेल रही है.

सोशल नेटवर्किंग का कमाल

सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर फैले संदेशों के चलते हजारों लोग गुरुवार की रात को राजधानी नई दिल्ली से लेकर आईटी हब हैदराबाद में रात भर हाथों में मोमबत्ती लिए अन्ना हजारे के समर्थन में डटे रहे. वहीं 78 वर्षीय मनमोहन सिंह ने हजारे के अनशन को पूरी तरह गुमराह करने वाला बताया. लेकिन हजारे के समर्थकों को यह बात गले नहीं उतरती.

गुड़गांव में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर सुरजीत का कहना है, "हमें अपनी सरकार पर भरोसा नहीं है. हम लोकतंत्र में रह रहे हैं लेकिन शब्दों का लोकतंत्र है, असल में कुछ नहीं है." हजारे के पीछे खड़े लोगों में युवाओं की बड़ी तादाद है जिनमें से कुछ ने अपने चेहरे भी रंगा रखे हैं. वहीं बड़ी उम्र के लोग ठीक अन्ना जैसी पोशाक पहन कर आंदोलन में साथ दे रहे हैं. 1.2 अरब आबादी वाले भारत में प्रदर्शन और धरने आम बात हैं लेकिन किसी एक आंदोलन के लिए देश भर में समाज के सभी वर्गों की इस तरह भागीदारी कम ही देखने को मिलती है.

हजारे का दम

इस साल अप्रैल में भी हजारे ने सरकार को झुकने के लिए मजबूर कर दिया. 98 घंटों के उनके अनशन के बाद सरकार लोकपाल विधेयक संसद में लाने के लिए मजबूर हुई. बिल का मसौदा तैयार करने के लिए मंत्रियों और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों की साझा कमेटी बनी लेकिन उनके बीच बुनियादी मतभेद कायम रहे.

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कई शहरों में दसियों हजार लोग हजारे के समर्थन में उमड़ेतस्वीर: AP

लोकपाल के दायरे से प्रधानमंत्री और उच्च न्यायपालिका को बाहर रखे जाने से नाराज हजारे ने फिर 16 अगस्त से अनशन करने की घोषणा की थी. लेकिन मंगलवार सुबह ही उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.

इससे पहले 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने भाषण में मनमोहन सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार देश की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है जिसके खिलाफ सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होकर काम करना होगा. लेकिन उन्होंने हजारे की तरफ इशारा करते हुए कहा कि अनशन करने से कुछ नहीं होगा.

हर तरफ भ्रष्टाचार

भारत में कोई भी क्षेत्र भ्रष्टाचार से अछूता नही है लेकिन पिछले एक साल में राज्य और केंद्र सरकार के स्तर पर एक के बाद एक कई घोटाले उजागर हुए हैं. अब भी ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल सबसे भ्रष्ट देशों की सूची में भारत को 87वें स्थान पर रखती है.

समाचार पत्रिका ओपन के संपादक मनु जोसेफ न्यूयॉर्क टाइम्स के लिए एक लेख में कहते हैं, "भ्रष्टाचार इस तरह भारतीय समाज का हिस्सा बन गया है कि सरकार के आर्थिक सलाहकार कौशिक बासु सुझाव देते हैं कि रिश्वत देने को कानून बना दिया जाए. उन्हें निजी कंपनियों की तरफ से भरपूर समर्थन भी मिला. और ऐसा हो भी क्यों ना क्योंकि भारत में सबसे ज्यादा रिश्वत निजी कंपनियां ही देती हैं."

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः आभा एम

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