1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

रोबर्ट एंके की आत्महत्या - अनसुलझे सवाल

११ नवम्बर २०१०

एक साल पहले 10 नवंबर 2009 को जर्मनी सदमे में पड़ गया था. उस दिन जर्मनी की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के गोलकीपर रोबर्ट एंके ने आत्महत्या कर ली थी. वे 32 साल के थे.

https://p.dw.com/p/Q5f1
रोबर्ट एंकेतस्वीर: picture-alliance / augenklick/Rzepka

बुंडेसलीगा क्लब हैनोवर 96 के लिए खेल रहे एंके डिप्रेशन यानि अवसाद के शिकार थे. वे बहुत ही संवेदनशील माने जाते थे और उनका इलाज भी हो रहा था. उनकी आत्महत्या के बाद ही खिलाड़ियों पर दबाव कम करने और डिप्रेशन के संकेतों पर तुरंत कार्रवाई करने और इलाज शुरू करने के लिए जर्मन फुटबॉल संघ और कई दूसरे संस्थानों ने वचन दिए थे. लेकिन आज भी ज्यादातर खिलाडियों का कहना है कि बहुत बदलाव नहीं आया है. खुलकर यह बताना कि एक खिलाडी फुटबॉल की दुनिया में मौजूद दबाव झेल नहीं सकता है, इसे कमजोरी माना जाता है. यह मानना है यूरोप के टॉप लीगों में गिनी जाने वाली जर्मन बुंडसलीगा के बोखुम क्लब में लंबे समय के लिए गोलकीपर रहे थोमास ऐर्न्स्ट का.

जब आप स्टेडियम में खेलते हैं और आपकी टीम हारती है तो कई बार फैंस आपके खिलाफ सीटी बजाते हैं या आपका नाम पुकार कर आपकी व्यक्तिगत तरीके से आलोचना करते हैं. यह एक ऐसी चुनौती है जिसका मेरे हिसाब से सामना करना बिलकुल आसान नहीं है. - थोमास ऐर्न्स्ट

Bdt Gedenkplatz für Robert Enke vor dem Stadion in Hannover
हैनोवर में रोबर्ट एंके का स्मारक स्थलतस्वीर: dpa

यदि टीम खराब खेलती है, हारती ही जाती है और शायद एक सीजन में प्रीमियर लीग से बाहर हो जाती है, तो दबाव बढ़ता है. थोमास ऐर्न्स्ट का कहना है.

मैं ऐसे वक्त में हमेशा सोचता था कि अब क्लब का क्या होगा, उन लोगों का क्या होगा जो यहां काम कर रहे हैं. ऐसे मुश्किल दौर में दबाव बढ़ता है और हर समय, ट्रेनिंग करने, खेलने के वक्त या घर में यह दबाव आपके साथ होता है. - थोमास ऐर्न्स्ट

जर्मनी में सक्रिय खिलाडियों के संघ के निर्देशक उल्फ बारानोव्सकी का कहना है कि रोबर्ट एंके की आत्महत्या के पहले ही उन खिलाडियों की संख्या बढ़ती जा रही थी जिनको मदद की जरूरत थी.

हमारा संघ बहुत सालों से इस तरह की मदद खिलाडियों को उपलब्ध करवा रहा है. थेरापी, वगैरह, वगैरह. लेकिन रोबर्ट एंके की आत्महत्या की त्रासदी के बाद संख्या अचानक बहुत बढ़ गई है. मैं तो कहूंगा कि जर्मन लीग में सक्रिय खिलाड़ियों में से 10 प्रतिशत खिलाड़ियों को मदद की जरूरत है. -उल्फ बारानोव्सकी

जिस तरह से क्रिकेट भारत में धर्म का रूप ले चुका है, उतना ही ज्यादा जर्मनी में फुटबॉल लोकप्रिय है. जर्मनी की राष्ट्रीय टीम ने 3 बार फुटबॉल विश्व कप जीता है. ब्रिटिश प्रीमियर लीग और स्पेन की फुटबॉल लीग के साथ जर्मनी की बुंडेसलीगा यूरोप की सर्वश्रेष्ट लीगों में गिनी जाती है. लेकिन खिलाडियों के बीच ऐसा माना जाता है कि जब वह फैंस के लिए आदर्श हैं और हर जगह उनके साथ कैमरे भी होते हैं तब वह अपनी कमजोरियां नहीं दिखा सकते हैं. रोना या दुखी होना - यह मर्दों को शोभा नहीं देता. खेल की दुनिया किसी हद तक मजे और ऐंटरटेनमेंट की दुनिया भी है, यानी खिलाड़ी हमेशा अपना मस्त वाला रूप दिखाते हैं क्योंकि वह इस बिजनेस में अलग थलग नहीं होना चाहते हैं. श्टेफान ग्रा मनोवैज्ञानिक हैं. उनका कहना है कि खिलाडियों को अकसर समर्थन नहीं मिलता है.

BdT Schweigeminute für Robert Enke
एंके की मौत पर मौन पालन करते हुए जर्मन खिलाड़ीतस्वीर: AP

मुझे ऐसा लगता है कि कई कोच और शायद टीम के अंदर दूसरे खिलाड़ी कहते होंगे कि यदि किसी खिलाडी को दबाव सहने में दिक्कत है, तब वह फुटबॉल खेलने लायक नहीं है. और इसलिए खिलाड़ी सोचता है कि वह अपनी समस्या के बारे में क्यों बताए क्योंकि ऐसा करने पर उसका नुकसान ही होगा. - श्टेफान ग्रा

फुटबॉल करोडों यूरो का खेल है. इसलिए बोखुम क्लब में लंबे समय तक गोलकीपर रहे थोमास ऐर्न्स्ट के मुताबिक जर्मन क्लबों में इस बात को जरूर स्वीकार किया जाता है कि खिलाडियों में ट्रॉमा और डिप्रेशन के मामले मौजूद हैं. लेकिन थोमास ऐर्न्स्ट यह भी कहते हैं कि बडे़ पैमाने पर फुटबॉल के बिजनेस में रोबर्ट एंके की आत्महत्या के बाद कोई बदलाव नहीं आया है. इसलिए मुझे नहीं लगता है कि कुछ खिलाड़ी सामने आएंगे और अपनी समस्याओं के बारे में खुलेआम बताएंगे.

रिपोर्ट: प्रिया एसेलबोर्न

संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी