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शांत हुए नेपाल में गैंडे लौटे

२४ अप्रैल २०११

नेपाल में पहली बार गैंडों की संख्या 500 के पार. माओवाद की लड़ाई के दौरान कई शिकारी गृहयुद्ध का फायदा उठाकर गैंडों का शिकार कर रहे थे. अब शांति लौटने के बाद ऐसे शिकारी कानून का शिकार बन रहे हैं.

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तस्वीर: DW

नेपाल सरकार ने रविवार को एलान किया कि देश में पहली बार दुर्लभ गैंडों की संख्या रिकॉर्ड तेजी से बढ़ी है. देश में अब 500 से ज्यादा गैंडे हैं. तीन साल के भीतर इनकी संख्या में 99 का इजाफा हुआ है. वन्यजीव संरक्षण से जुड़े विशेषज्ञों ने कई महीनों तक देश के दक्षिणी हिस्से का दौरा किया. आधुनिक उपकरणों के सहारे की गई गणना में पता चला कि नेपाल में इस वक्त 534 गैंडे हैं.

विशेषज्ञों के मुताबिक अध्ययन में कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. 1996 से 2006 तक चले गृहयुद्ध के दौरान नाक पर एक सींग वाले गैंडे लुप्त होने की कगार पर पहुंच गए थे. इन्हीं गैंडों की संख्या में अब सबसे ज्यादा वृद्धि देखी गई है. नेशनल पार्क डिपार्टमेंट के अधिकारी महेश्वर ढकाल कहते हैं कि कानून की सख्ती और स्थानीय लोगों की जागरुकता की वजह से ऐसे उत्साहजनक परिणाम देखने को मिल रहे हैं. ढकाल ने कहा, ''इन सकारात्मक नतीजों से सरकार का हौसला बढ़ा है. हालांकि गैंडों के प्राकृतिक निवास को शिकारियों से बचाने की चुनौती बरकरार है.''

Nashorn Sanjay Gandhi Zoological Park Indien
तस्वीर: UNI

नेपाल और पूर्वोत्तर भारत के तराई वाले इलाकों में बीते दो दशकों में गैंडों की संख्या तेजी से घट रही थी. नाक पर एक सींग वाले गैंडे का शिकारियों ने खूब शिकार किया. गैंडे को मारने के बाद उसकी सींग काट ली जाती थी. पशु अंगों के गैरकानूनी अंतरराष्ट्रीय बाजार में गैंडे की सींग काफी महंगी बिकती है.यही वजह है कि नेपाल और भारत की खुली सीमा का फायदा उठाते हुए एक सींग वालें गैंडों का खुलकर शिकार किया गया. भारत में एक सींग वाले गैंडों को लुप्त होने वाले वन्यजीवों की श्रेणी में रखा गया है.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: ईशा भाटिया

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