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समुद्र में लौट रहे हैं मूंगे के जंगल

३० दिसम्बर २०११

बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए समुद्री संसाधनों का भी इस्तेमाल बढ़ गया है, जिसकी वजह से समुद्र में कोराल समाप्त हो रहे हैं. एक जर्मन वैज्ञानिक से प्रेरणा लेकर अब उसे बचाने का काम चल रहा है.

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तस्वीर: picture alliance/J.W.Alker

साइनायड फिशिंग और पानी के बढ़ते तापमान के कारण इंडोनेशिया के बाली में कोरल या मूंगे कम हो रहे थे, लेकिन एक गोताखोर ने जर्मन वैज्ञानिक की किताब बायोरॉक से प्रभावित होकर एक परियोजना बनाई है, जिसे दुनिया भर में लागू किया जा रहा है. जिन 20 देशों में इस पर अमल हो रहा है उनमें दक्षिण पूर्व एशिया, कैरिबियन, हिंद महासागर और प्रशांत सागर के देश शामिल हैं.

बाली के उत्तरी तट पर पेमुतेरान के नीले पानी में इस परियोजना को 2000 में शुरू किया गया था. वहां क्रैब नाम का एक लोहे का फ्रेम है, जिसे विभिन्न प्रकार के कोरल से ढक दिया गया है, जिसमें सैकड़ों मछलियों ने अपना घर बना लिया है. मूंगे छोटे समुद्री जीव होते हैं जो लाखों की संख्या में समूह में रहते हैं और अपने इर्द गिर्द सख्त शंख बना लेते हैं जो पत्थर जैसे और अलग अलग रंगों के होते हैं. इन्हें तराश कर और चमका कर मूंगे के जेवर भी बनाए जाते हैं.

Flash-Galerie Die Wunder der Natur
तस्वीर: Fotolia/vlad61_61

अपने प्रयासों की सफलता पर जर्मन मूल की ऑस्ट्रेलियाई नागरिक रानी मोरो वुइक को नाज है. उन्होंने पहली बार 1992 में पेमुतेरान में उसके सुंदर मूंगों को देखने के लिए गोताखोरी की थी. लेकिन 90 के दशक का अंत होते होते गर्म होते पानी के कारण कोराल रीफ लुप्त होने के कगार पर पहुंच गए. उन पर साइनायड और डायनामाइट से भी असर पर रहा था.

रानी कहती हैं कि वे बहुत दुखी हुईं. "सारा कोराल मर चुका था, वह बजरी और रेत में बदल गया था." लेकिन जब जर्मन समुद्री वैज्ञानिक वोल्फ हिलबैर्त्स ने उन्हें अपनी 1970 की खोज के बारे में बताया, गोताखोर रानी के कान खड़े हो गए. हिलबैर्त्स ने निर्माण सामग्री को समुद्र में उगाने का परीक्षण किया था. इसके लिए उन्होंने धातु का एक ढांचा समुद्र में डालकर उसे कम वोल्टेज बिजली से जोड़ दिया था. उसके बाद इलेक्ट्रोलाइसिस से चूना पत्थर बनना शुरू हुआ. जब हिलबैर्त्स ने अमेरिका के लुइजियाना में अपना परीक्षण किया तो उन्होंने पाया कि सीप और घोंघे ने सारी संरचना को ढक दिया है और चूना पत्थर पर घर बसा लिया है. और शोध करने पर यह कोरल के साथ भी संभव बना.

Verschiedene Korallenarten im Great Barrier Riff in Australien
तस्वीर: picture-alliance/ dpa

जमैका के समुद्र विज्ञानी थोमस गोरे कहते हैं, "कोरल दो से छह गुने तेजी से बढ़ते हैं. हम कुछ साल के अंदर रीफ को फिर से पैदा कर सकते हैं." गोरे ने 1980 के दशक में हिलबैर्त्स के साथ काम करना शुरू किया और चार साल पहले हिलबैर्त्स की मौत तक अपना सहयोग जारी रखा. जब रानी ने इस खोज को देखा तो उनके मन में विचार आया कि यह उनके समुद्र को भी बचा सकता है. अपना पैसा खर्च कर उन्होंने तमन सारी रिजॉर्ट की मदद से 22 ढांचो वाला प्रोजेक्ट बनाया.

अब पेमुतेरान खाड़ी में दो हेक्टेयर में फैले इस तरह के 60 पिंजड़े हैं और रीफ को बचा तो लिया ही गया है, वह अब और बढ़ रहा है. रानी कहती हैं, "अब हमारे पास पहले से बेहतर कोरल गार्डन है." स्थानीय मछुआरों ने भी इस परियोजना का फायदा देख लिया है. कॉलेज पास करने के बाद इ प्रोजेक्ट में शामिल होने वाली कोमांग अस्तिका कहती हैं, "शुरू में मछुआरे बायोरॉक प्रोजेक्ट नहीं चाहते थे. वे कहते थे कि यह उनका समुद्र है. अब वे मछली को वापस होते देख रहे हैं और पर्यटक भी वापस लौट रहे हैं."

रिपोर्ट: एएफपी/महेश झा

संपादन: एम गोपालकृष्णन

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