सरबजीत को बाहर नहीं भेजेगा पाकिस्तान
२९ अप्रैल २०१३सोमवार को पाकिस्तान सरकार की तरफ से कहा गया कि सरबजीत सिंह को लाहौर के जिन्ना अस्पताल में जितना मुमकिन है उतना बेहतर इलाज दिया जा रहा है. मौत की सजा पाए सरबजीत सिंह शुक्रवार को कैदियों के हमले में बुरी तरह घायल हो गए और फिलहाल कोमा में हैं. पाकिस्तान ने ऐसी खबरों को खारिज किया है कि सरबजीत को विदेश भेजने पर फैसला करने के लिए कोई मेडिकल बोर्ड बनाया गया है. पाकिस्तान के सूचना मंत्री और कार्यवाहक सरकार में अहम भूमिका निभा रहे आरिफ निजामी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि सरबजीत का लाहौर के जिन्ना अस्पताल में इलाज चलेगा. कार्यवाहक सरकार ने सरबजीत तक राजनयिक सुविधा मुहैया कराने के लिए कुछ भारतीय अधिकारियों को उनसे मिलने की इजाजत भी दे दी है.
इस बीच अधिकारियों ने बताया कि चार सदस्यों वाले मेडिकल बोर्ड ने सरबजीत का रूटीन चेक अप किया है. उन्होंने इस बात से साफ इनकार किया कि यह बोर्ड सरबजीत को विदेश भेजने के बारे में फैसला करेगा. पंजाब प्रांत के स्वास्थ्य विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, "ऐसी किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जा रहा. वास्तव में मेडिकल बोर्ड के पास इसका अधिकार ही नहीं है."
इस बीच भारत सरकार ने कहा है कि वह सरबजीत सिंह को हर संभव मेडिकल सुविधा मुहैया कराने के लिए तैयार है. गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह ने कहा है, "हमारे हाथ में जो कुछ है वो हम जरूर करेंगे जिससे कि सरबजीत सिंह को हर संभव इलाज मिल सके चाहे पाकिस्तान के डॉक्टर हो या विदेशी विशेषज्ञ." संसद के बाहर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि सरबजीत की हालत बेहद गंभीर है. पाकिस्तान सरकार ने सरबजीत के परिवार वालों को पाकिस्तान आने के लिए वीजा दिया है और वो लोग वहां पहुंच गए हैं. सरबजीत के परिवार वालों ने मांग की है कि उसे भारत वापस लाया जाए. इस पर गृह मंत्री ने कहा, "इस पर हम कूटनीतिक चैनलों के जरिए बात कर सकते हैं. पहली प्राथमिकता है कि वह ठीक हो. उसका ध्यान रखा जाना चाहिए. हम उसके स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए लगातार संपर्क में बने हुए हैं."
अस्पताल से जुड़े सूत्रों ने जानकारी दी है कि अब तक सरबजीत की स्थिति में कोई सुधार नहीं है. शुक्रवार को हमला होने के बाद से ही वह कोमा में है. कोट लखपत जेल के छह कैदियों ने धारदार हथियारो और लोहे की छड़ से सरबजीत पर हमला किया और उसे बुरी तरह से मारा पीटा. उसके सिर पर छड़ और ईंटो से वार किया गया और तेज हथियारों से उस पर हमले किए गए. डॉक्टरों का कहना है कि सरबजीत का मामला न्यूरोसर्जरी के लिए एक बेहद जटिल चुनौती है.
सरबजीत को पंजाब प्रांत में 1990 में हुए बम धमाकों में कथित भूमिका के लिए मौत की सजा सुनाई गई. उसकी माफी की याचिका कोर्ट और तब राष्ट्रपति रहे परवेज मुशर्रफ ने खारिज कर दी है. 2008 में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सरकार ने उसकी फांसी पर अनिश्चित काल के लिए टाल दी. सरबजीत के परिवार वालों का कहना है कि खराब मानसिक हालत में उसने गलती से सीमा पार कर ली थी और उसे किसी और की जगह सजा दी जा रही है.
एनआर/एएम (पीटीआई)