हिना रब्बानी पर फिदा भारतीय
२७ जुलाई २०११भारत और पाकिस्तान के बीच विदेश मंत्री स्तर की बातचीत के लिए हिना रब्बानी खर राजधानी दिल्ली पहुंची तो पूरे भारत की नजरें उन पर टिकी हुई थीं. नीली सलवार कमीज के साथ रब्बानी की खूबसूरती पर चार चांद लग रहे थे. सर पर नीला दुपट्टा, गले में मोतियों की माला, हाथ में काला बैग और बड़ा काला चश्मा - रब्बानी की तस्वीरें भारत के हर न्यूज चैनल पर देखी गईं, लोगों का ध्यान मुद्दे से हट कर रब्बानी की खूबसूरती पर ही टिक गया. रब्बानी भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा से मिलने पर क्या बातचीत करेंगी, इस चर्चा को छोड़ लोग यह सोचने लगे कि बैठक के लिए वो कपड़े कौन से पहनेंगी. रब्बानी ने भी लोगों को निराश नहीं किया. ऑफ व्हाइट रंग के लिबास में वह और भी खिलीं.
फेसबुक पर संदेश
लोगों नें उन्हें इतना पसंद किया कि फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल नेट्वर्किंग साइट्स उनकी तारीफों से भर गईं. रब्बानी शायद खुद भी नहीं जानती होंगी कि फेसबुक पर उनके नाम ने कम से कम बीस पेज चल रहे हैं, जिनमें ज्यादातर लोग भारतीय ही हैं. उनके चाहने वालों ने इन पेजों पर उनकी तारीफों के पुल बांध दिए हैं. कुछ लोगों ने तो इस उम्मीद में कि शायद रब्बानी कभी इन पेजों को पड़ेंगी, वहां उनके नाम संदेश भी लिखे हैं. किसी ने लिखा, "हिना, तुम बहुत सुन्दर हो, मुझे तुम बहुत पसंद हो" तो किसी और ने लिखा, "हिना, मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं". शायद ये लोग जानते नहीं कि हिना तो शादी शुदा हैं और उनकी दो बेटियां भी हैं. रब्बानी और भारत-पाक वार्ता पर चल रही चर्चा में किसी ने फेसबुक पर लिखा, "यह पाकिस्तान की सोची समझी चाल है. जान बूझ कर इतनी सुन्दर महिला को विदेश मंत्री बना दिया. वो हमारे बेचारे विदेश मंत्री का ध्यान बटांना चाहते हैं."
सुर्खियों में रब्बानी
भारतीय अखबारों में भी रब्बानी ही छाई रहीं. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने कहा, "पाकिस्तान ने अपना सबसे बेहतरीन चेहरा चुना है", वहीं हिंदी अखबार नवभारत टाइम्स ने लिखा, "मॉडल जैसी मंत्री को देख कर भारत का पसीना छूट गया है". मुंबई मिरर ने तो अपनी रिपोर्ट का शीर्षक ही दिया, "भारत पहुंचा पाकिस्तान का बम". रेडिफ वेबसाइट पर उन्हें "ब्यूटी एंड ब्रेन्स" का नाम दिया गया. भारतीय न्यूज चैनल भी यह पूछते दिखे कि "क्या हिना रंग लाएगी?" कई अखबारों में तो उनके फैशन सेन्स की चर्चा चल रही है. मेल टुडे ने लिखा, "34 वर्षीय मंत्री को उनके फैशन के लिए पूरे अंक मिलते हैं." भारत में फिलहाल मानसून चल रहा है. रब्बानी के नीले लिबास से इसकी तुलना करते हुए मेल टुडे ने लिखा कि उन्होंने मौसम के अनुकूल रंग चुना.
पाकिस्तान में विवाद
रब्बानी अपने देश में भी इतनी लोकप्रिय नहीं हैं जितनी वह भारत में हो गई हैं. शायद जिस फैशन सेन्स और फर्राटेदार अंग्रेजी के भारत में लोग दीवाने हो गए हैं, उसी से पाकिस्तान के लोगों को दिक्कत है. यू-ट्यूब पर रब्बानी के एक वीडियो के नीचे पाकिस्तान के एक व्यक्ति ने लिखा, "यह अपने बाल संवार ले और दुपट्टा संभाल ले उतना ही काफी है, राजनीति तो इनके बस की बात नहीं है." टीवी न्यूज चैनलों पर भी उनकी कड़ी आलोचना होती रही है. अंग्रेजी बोलना पसंद करने वाली रब्बानी के ऐसे वीडियो टीवी पर दिखाए गए हैं जिनमें उनकी उर्दू का मजाक उड़ाया जा रहा है. संसद में उर्दू में बात करते हुई रब्बानी हर वाक्य में चार-चार बार अटकती दिखती हैं. अच्छी उर्दू ना जानने पर पाकिस्तान में उनकी काफी आलोचना होती रहती है.
इमेज का सवाल
शायद अगर रब्बानी भारत की नेता होतीं तो भारत में उनकी ऐसी ही आलोचना होती. राजनीति में रहने के लिए एक सीधी सादी 'इमेज' की मांग रहती है. खूब मॉडर्न प्रियंका गांधी भी जब रैलियों में जाती हैं तो फीके रंग वाली सूती की साड़ी ही पहनती हैं. इटली से आई फैशनेबल सोनिया गांधी को भी हमेशा सूती की साड़ी या सलवार कमीज में ही देखा जाता है. एक आम धारणा है कि फैशनेबल और मॉडर्न औरतें राजनीति नहीं कर सकती, देश की जरूरतों को नहीं समझ सकती. पर जब विदेशी मंत्री या उनकी पत्नी हमारे यहां आती हैं तो उनके फैशन सेन्स की चर्चा शुरू हो जाती है, भले ही वो मिशेल ओबामा हों, कार्ला ब्रूनी, बेनजीर भुट्टो या फिर हिना रब्बानी.
रिपोर्ट: ईशा भाटिया
संपादन: आभा मोंढे