हैकिंग में गिरा बड़ा विकेटः ब्रुक्स का इस्तीफा
१५ जुलाई २०११लाल बालों वाली 43 साल की ब्रुक्स ने अदने से सेक्रेटरी के पद से अपना करियर शुरू किया लेकिन सारी सीढ़ियों को लांघते हुए कंपनी की चीफ एक्जक्यूटिव बन बैठीं. वह सिर्फ 32 साल की उम्र में ब्रिटेन के मशहूर अखबार की संपादक बन गईं और बाद में उनका प्रमोशन होता रहा.
अपने कार्यकाल में वह एक हंसमुख शख्सियत के तौर पर जानी जाती रहीं लेकिन साथ ही उनके अंदर किसी भी हद तक जाकर खबर इकट्ठा करने की प्रवृत्ति भी थी, जो आखिरकार उनके पतन की वजह बनी. लेकिन इन तमाम सालों में वह 80 साल के मर्डोक की चहेती और वफादार बनी रहीं.
जानकारों का मानना है कि यह मर्डोक से उनकी नजदीकी का ही नतीजा था कि 168 साल पुराना अखबार बंद हो जाने और ब्रिटेन की संसद में लगातार हंगामे के बाद भी वह इतने दिनों तक अपने पद पर बनी रहीं. ब्रुक्स ने शुक्रवार को पद छोड़ते हुए कहा, "रुपर्ट की बुद्धिमत्ता, सहृदयता और लाजवाब मशविरों ने मुझे मेरे पूरे करियर में काफी मदद की. मैंने यहां 22 साल काम किया और मैं इसे दुनिया की सबसे महान मीडिया कंपनियों में गिनती हूं. मैं अपनी सबसे अच्छी यादों के साथ विदा हो रही हूं."
पूरे स्कैंडल का भंडाफोड़ होने के बाद रुपर्ट मर्डोक रविवार को ब्रिटेन पहुंचे. उनके यहां पहुंचने पर जब मीडिया ने पूछा कि उनकी पहली प्राथमिकता क्या होगी, तो उन्होंने ब्रुक्स की तरफ इशारा करके कहा, "यह."
ब्रुक्स 2000 से 2003 तक द न्यूज ऑफ द वर्ल्ड की संपादक रही हैं. हैकिंग के कुछ मामले उसी वक्त सामने आए थे. हालांकि ब्रुक्स का कहना है कि उन्हें इस मामले में कुछ नहीं पता है. कई सालों तक सत्ता के शीर्ष से उनका संबंध रहा और ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन उनके खास दोस्त हैं. लेकिन हाल ही में कैमरन ने भी उनका साथ छोड़ दिया और कहा कि ब्रुक्स को पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.
कैमरन और ब्रुक्स पहले पड़ोस में रहते थे और 2009 में जब ब्रुक्स ने घोड़ों के ट्रेनर चार्ली ब्रुक्स के साथ अपनी दूसरी शादी की तो उसमें कैमरन भी शामिल हुए. उस पार्टी में मर्डोक और ब्रिटेन के उस वक्त के प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन भी गए थे.
मर्डोक ने लगातार ब्रुक्स का साथ दिया और कुछ जानकार तो यहां तक कहते हैं कि मर्डोक ने द न्यूज ऑफ द वर्ल्ड को बंद करने का फैसला इसलिए किया क्योंकि ब्रुक्स को बचाया जा सके. हालांकि इस्तीफे के साथ ब्रुक्स की समस्याओं का अंत नहीं हुआ है. अब उन्हें मंगलवार को संसद का सामना करना है, जहां उन्हें स्कैंडल से जुड़े सवालों के जवाब देने होंगे. वह पहले भी एक बार संसद में पेश हो चुकी हैं और तब उन्होंने कहा था, "हम जानकारी हासिल करने के लिए पुलिस को पैसे दे चुके हैं." उनका यह बयान बहुत भारी पड़ा था.
सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में राजनीतिक जर्नलिज्म के प्रोफेसर आइवर गाबेर का कहना है, "उनके इस्तीफे से किसी समस्या का समाधान नहीं हुआ है. इससे सवालों के जवाब मिलने की जगह और सवाल उठ खड़े हुए हैं. पहला तो यह कि उन्होंने इस्तीफा देने में इतना वक्त क्यों लगाया."
ब्रुक्स इंग्लैंड में ही पैदा हुई और पली बढ़ी हैं. वह 14 साल की उम्र से ही पत्रकार बनना चाहती थीं. उन्होंने फ्रांस की राजधानी पेरिस में भी पढ़ाई की है. उन्होंने सिर्फ 20 साल की उम्र में द न्यूज ऑफ द वर्ल्ड में काम करना शुरू कर दिया और 2000 में अखबार की संपादक बन बैठीं. इसके तीन साल बाद वह द सन की पहली महिला संपादक बनीं और इस दौरान उन्होंने बड़ी खबरें ब्रेक कराईं और बेहद विवादित हेडलाइंस लगाईं.
उनके अखबार की तरह ब्रुक्स का निजी जीवन भी रंग बिरंगा रहा. वह बहुत जल्द कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ गईं लेकिन विवादों में भी फंसी. 2005 में उन्हें उस वक्त गिरफ्तार कर लिया गया, जब उनके उस वक्त के पति रॉस केंप उनके घर पर घायल अवस्था में पाए गए. हालांकि बाद में बिना किसी आरोप के उन्हें रिहा कर दिया गया. पूर्व प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन ने बताया कि एक बार ब्रुक्स ने उन्हें फोन करके बताया कि स सन में ब्राउन के बेटे को सांस की बीमारी सिस्टिक फिब्रोसिस होने की खबर पहले पन्ने पर छप रही है. इस बात को सुन कर ब्राउन सन्न रह गए और उनकी आंखों में आंसू भर आए.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः एस गौड़