50 हजार पेड़ लगाने वाले प्रोफेसर
८ जून २०११रॉय कट्टप्पना के एमईएस कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर रहे हैं और उन्हें शुरू से ही प्रकृति से बहुत लगाव रहा है. बड़े पैमाने पर पौधे लगाने की उनकी कोशिश से बंजर और खाली पड़ी जमीन पर अब हरियाली लहरा रही है. कट्टप्पना, कोट्टयम, चंगानसेरी और एट्टुमनूर-पाल बाईपास पर बहुत से घने छायादार पेड़ उनकी कोशिशों का नतीजा हैं. उन्होंने 15 साल में लगभग 50 हजार पेड़ लगाए हैं.
रॉय कहते हैं कि उनका मकसद लोगों को पेड़ लगाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रोत्साहित करना है ताकि आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ आबोहवा मिल सके. इस मकसद को हासिल करने के लिए उन्होंने ग्रीन लीफ नाम से एक संगठन भी बनाया है. यह संगठन राज्य को हरियाली चादर का रूप देने के लिए काम कर रहा है.
रॉय कहते हैं, "हम व्यस्त सड़कों पर पौधे लगाते हैं. हम ऐसे पौधों को चुनते हैं जो घने छायादार होते हैं और तेजी के साथ बढ़ते हैं. ग्रीन लीफ का सदस्य बनने के लिए किसी तरह की फीस नहीं ली जाती. हां, अगर कोई इसका सदस्य बनना चाहता है तो उसे एक पौधा जरूर लगाना होगा." इस संगठन का सदस्य बने रहने के लिए हर साल एक पौधा लगाना जरूरी है.
वृक्षारोपण प्रोफेसर रॉय की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है. वह किसी के घर भी जाते हैं तो तोहफे के तौर पर पांच पौधे ले जाते हैं. उन्हें स्थानीय लोगों का भी खूब समर्थन मिलता है. वह इसी सर्मथन को अपनी ताकत बताते हैं. उन्होंने स्थानीय लोग ट्री मैन कहते हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एमजी