अरब लीग ने सीरिया को दी तीन दिन की मोहलत
१७ नवम्बर २०११अरब लीग ने कहा है कि या तो सीरिया स्थिति को नियंत्रण में लाए या प्रतिबंध के लिए तैयार रहे. मोरक्को की राजधानी रबात में बैठक के बाद अरब लीग ने यह निर्णय लिया. बैठक के बाद कतर के प्रधानमंत्री शेख हमद बिन जासेम अल थानी ने कहा, "सीरिया की सरकार को अरब लीग के फैसले का सम्मान कर लोगों का खून बहाना बंद करना होगा. हम सीरिया के अंदरूनी मामलों में दखल नहीं देना चाहते, लेकिन लोगों का खून बहाना बंद करना ही होगा... अगर दमिश्क अरब लीग के साथ सहयोग देने के लिए तैयार नहीं है तो सीरिया के खिलाफ प्रतिबंध लगाए जाएंगे."
दूतावास पर हमला
रबात में चल रही बैठक के दौरान दमिश्क में असद समर्थकों ने मोरक्को और यूएई के दूतावासों पर हमला किया. मोरक्को के राजदूत मोहम्मद खसासी ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि 100 से 150 लोगों ने दूतावास पर अंडे और पत्थर फेंके और वहां से मोरक्को का झंडा भी हटा दिया. इस घटना के बाद मोरक्को सरकार ने मोहम्मद खसासी को देश लौटने के आदेश दिए हैं. विदेश मंत्री तैयब फस्सी फिहरी ने कहा, "हम ऐसी प्रणाली का विरोध करते हैं जो खुद को बदलने से इंकार करती है... बशर अल असद की सरकार अरब लीग और अन्य लोगों के हिंसा रोकने के प्रयास को अनदेखा कर रही है." यूएई ने भी इस घटना की निंदा की है और फ्रांस ने अपने राजदूत को वापस बुला लिया है.
फ्री सीरिया आर्मी
वहीं असद विरोधियों ने बुधवार को दमिश्क में वायु सेना की खुफिया एजेंसी के मुख्यालय पर हमला बोल दिया. रिपोर्टों के अनुसार 'फ्री सीरिया आर्मी' ने मशीनगन और रॉकेट से हमला किया. इस हमले में किसी के मारे जाने की खबर नहीं है. हालांकि सीरिया के सरकारी चैनल पर इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. वॉशिंगटन का कहना है कि उसके पास इस घटना की जानकारी है, लेकिन इसकी पुष्टी नहीं की जा सकती. ऐसा भी कहा जा रहा है कि यह हमला दिखाता है कि असद के लिए अब खतरा बढ़ रहा है. अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मार्क टोनर ने कहा, "इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि अब हम इस तरह के हमले देख रहे हैं. हम किसी भी तरह से इस घटना का समर्थन नहीं करते, लेकिन यह बात बिलकुल साफ है कि यह असद और उनकी सरकार की क्रूर नीतियों का ही असर है कि जो विरोध एक शांतिपूर्ण आंदोलन के रूप में शुरू हुआ था उसने आज इतनी हिंसक शक्ल ले ली है."
गद्दाफी वाला अंत?
लम्बे समय से सीरिया का समर्थन करता आया तुर्की भी अब उसके विरोध में आ गया है. रबात में तुर्की के विदेश मंत्री अहमत डावूतोग्लू ने सीरिया की तुलना लीबिया से करते हुए कहा, "सरकार को लोगों की मांगें पूरी करनी ही होंगी. सीरिया में चल रहे नरसंहार को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता." पिछले महीने लीबिया में लम्बे प्रदर्शनों के बाद गद्दाफी विरोधियों ने उनकी जान ले ली. सीरिया में पिछले आठ महीने से राष्ट्रपति असद के खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं. इसी महीने वहां सैंकड़ों लोगों की जान जा चुकी है. इसे सीरिया में चल रहे तनाव का अब तक का सबसे बुरा दौर माना जा रहा है.
रिपोर्ट: एएफपी/ ईशा भाटिया
संपादन: एन रंजन