1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

आरक्षण पर पाबंदी से कुलबुलाया बॉलीवुड

१३ अगस्त २०११

आरक्षण भारत में कांटों की सेज है. उस पर जो भी बैठने की कोशिश करेगा, लहू लुहान हो जाएगा. बॉलीवुड को भी इस दर्द का अंदाजा हो गया है. प्रकाश झा की फिल्म पर लगी पाबंदी से फिल्मी हस्तियां कुलबुला गई हैं.

https://p.dw.com/p/12G0e
तस्वीर: AP

तीन राज्यों में फिल्म आरक्षण दिखाने पर लगी पाबंदी को लेकर बॉलीवुड की कई बड़ी हस्तियां अमिताभ बच्चन और प्रकाश झा के समर्थन में सामने आई हैं. उत्तर प्रदेश, पंजाब और आंध्र प्रदेश में फिल्म पर प्रतिबंध लगाया गया है. जम्मू कश्मीर, बिहार और तमिलनाडु में भी फिल्म के खिलाफ प्रदर्शन हो चुके हैं.

इस प्रतिबंध को फिल्मकार मधुर भंडारकर ने बेहद बुरा बताया है. उन्होंने कहा, "क्या हम फिल्मकारों को अब कार्टून फिल्में बनानी शुरू कर देनी चाहिए?"

वरिष्ठ कलाकार अनुपम खेर ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा, "आरक्षण आज की गंदी राजनीति का शिकार हुई है. फिल्मों का कोई एजेंडा नहीं होता, राजनेताओं का होता है."

Amitabh Bachchan
तस्वीर: AP

अपनी फिल्म माई नेम इज खान के लिए ऐसा ही दौर झेल चुके करण जौहर ने भी प्रतिबंध की आलोचना की है. उन्होंने कहा, "सिनेमा अभिव्यक्ति का माध्यम है...लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी है. क्या यह सिर्फ थ्योरी है? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? बहुत दुख की बात है."

एक्टर डायरेक्टर फरहान अख्तर ने भी आरक्षण पर बैन का विरोध किया है. उन्होंने लिखा है, "रिकॉर्ड के लिए, मैं भी आरक्षण पर पाबंदी के खिलाफ हूं. उम्मीद है लोगों को समझ आएगी और फिल्म सभी राज्यों में रिलीज होगी."

एक्टर निखिल द्विवेदी ने तो बॉलीवुड के लोगों से कुछ करने का आह्वान ही कर डाला है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, "क्या हम फिल्मवाले चुप बैठे रहेंगे और तीन राज्यों में फिल्म को बैन होते बेचारे बनकर देखते रहेंगे?"

निर्देशक अनुभव सिन्हा ने सेंसर बोर्ड के वजूद पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने लिखा, "क्या सेंसर बोर्ड केंद्र सरकार की संस्था नहीं है जिसमें हर क्षेत्र के प्रतिनिधि होते हैं? जब सेंसर बोर्ड ने फिल्म को सर्टिफिकेट दे दिया है तो क्यों नहीं केंद्र सरकार दखल देती?"

Prakash Jha
तस्वीर: AP

अमिताभ बच्चन अब तक तो इस मामले पर बहुत संभल संभल कर बोल रहे थे. लेकिन अब वह सीधे सीधे मैदान में उतर आए हैं. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, "बड़ी लाचारगी महसूस हो रही है कि लोगों को यह नहीं समझा पाए कि यह कला देखने की चीज है प्रतिबंध लगाने की नहीं."

इससे पहले वह सेंसर बोर्ड पर भी सवाल उठा चुके हैं. उन्होंने कहा, "तब इस जमीन पर राज करने वाले सांसदों की बनाई संस्था सेंसर बोर्ड की जरूरत ही क्या है. इसका अपमान करने से अच्छा है इसे पूरी तरह हटा दिया जाए."

प्रकाश झा को कला के साथ साथ पैसों की भी फिक्र है. उन्होंने कहा, "बेशक, हमें नुकसान होगा. हमने अभी कोई हिसाब किताब तो नहीं लगाया है लेकिन नुकसान तो होगा ही. हर क्षेत्र अहम है फिर चाहे वह छोटा हो या बड़ा. लेकिन जरूरी यह है कि हर जगह के लोग बिना डर के फिल्म देख सकें."

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एन रंजन

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें