एक रेफरी, जिस पर होंगी सबकी नजरें
२ जून २०११वह 2007 से जर्मनी की पुरूष फुटबॉल सेकंड लीग में रेफरी के तौर पर काम कर रही हैं. अपने अच्छे प्रदर्शन के दम पर बीबियाना को उम्मीद है कि जर्मन फुटबॉल लीग बुंडेसलीगा और अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में उनके लिए शानदार मौके हैं. यह अपने आप में बहुत अनोखी बात है.
बीबियाना श्टाइनहाउस पेशे से एक पुलिस अफसर हैं. वह कहती हैं, "मुझे ऐसा लगता है कि रेफरी होना और पुलिस में काम करना, दोनों के लिए जुनून होना चाहिए. दोनों जगह आपको फैसले लेने हैं और गंभीरता की जरूरत होती है. साथ ही इन फैसलों को पारदर्शी बनाए रखना भी बहुत जरूरी है."
हनोवर में रहने वाली श्टाइनहाउस ने अपने इलाके के छोटे से फुटबॉल क्लब एसवी बाडलाउटेरबर्ग से बचपन में ही अपना करियर शुरू किया. उन्होंने लेफ्ट डिफेंडर के तौर पर खेलना शुरू किया. लेकिन उनके पिता ने उन्हें रेफरी बनने की सलाह दी.
बहुत दम है
जर्मन फुटबॉल संघ में रेफरी कोच औएगेन श्ट्रिगल ने श्टाइनहाउस के करियर को दिशा दी जिसके दम पर वह यहां तक पहुंची हैं. वह बताते हैं, "जब श्टाइनहाउस 18 साल की थी, तो मैंने उसे पहली बार एक सेमिनार में देखा. मुझे हैरानी हुई कि वह कितनी कुशलता से मैच करा रही है. वह शारीरिक रूप से बहुत मजबूत है. उसका कद 180 सेंटीमीटर है. दूर तक भाग सकती है. बहुत दम है. वह पुरूषों वाले शारीरिक परीक्षण कराती है."
जर्मनी के 80 हजार रेफरियों में से सिर्फ 2 प्रतिशत ही महिलाएं हैं. रेफरियों की संख्या इसलिए इतनी ज्यादा है क्योंकि फुटबॉल जर्मनी का राष्ट्रीय खेल है. गांव, जिला, राज्य, क्लब, देश और यहां तक कि स्कूलों के स्तर पर भी फुटबॉल खेला और पसंद किया जाता है. महिलाओं के बीच बीबियाना श्टाइनहाउस 2005 से महिला बुंडेसलीगा, चैंपियंस लीग और महिला यूरो चैंपियनशिप में रेफरी बनती रही हैं. पुरूष फुटबॉल में वह सेकंड लीग के अलावा जर्मन कप में भी अपनी जिम्मेदारी निभाती रही हैं. वह बुंडेसलीग में फोर्थ रेफरी बन चुकी हैं.
चार बार उन्हें जर्मनी में साल का सबसे अच्छा रेफरी चुना गया है. वह कहती हैं, "मुझे ऐसा लगता है कि आखिरकार किसी खिलाड़ी को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि रेफरी महिला है या पुरूष. सबसे जरूरी बात यह है कि सीटी ठीक वक्त पर बजे और फैसले सही हों."
फुटबॉल का जुनून
बीबियाना श्टाइनहाउस महिला रेफरी होने के नाते मीडिया में ज्यादा सुर्खियां बटोरना नहीं चाहतीं. उनका कहना है कि बतौर रेफरी उनके महिला होने पर ज्यादा हायतौबा नहीं मचनी चाहिए, बल्कि उनकी काबलियत पर ध्यान दिया जाए. श्टाइनहाउस का मानना है कि मीडिया की जरूरत से ज्यादा कवरेज खेल को खेल नहीं, बल्कि मार्केटिंग बना देती है.
श्टाइनहाउस ने जब रेफरी के तौर पर काम करना शुरू किया तो उनका मजाक उड़ाया जाता था. जब वह शुरू में मैदान उतरी थीं तो स्टेडियम में मौजूद दर्शक चिल्लाते थे कि ये तो पुरूषों का खेल. लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब, जब वह रेफरी के तौर पर मैदान पर आती हैं तो लोग तालियां बजा कर उनका स्वागत करते हैं.
बेहद खूबसूरत बीबियाना श्टाइनहाउस ने अभी शादी नहीं की है. वह फुटबॉल को ही अपना प्यार और जुनून मानती हैं.
रिपोर्टः डीडब्ल्यू/प्रिया एसेलबोर्न
संपादनः ए कुमार