औरतों की खातिर राष्ट्रगान बदला
९ दिसम्बर २०११ऑस्ट्रिया के राष्ट्रीगान को जो अब तक सुनता आ रहा है, उसे यही लगेगा कि देश में केवल महान पुरुष पैदा हुए हैं, महिलाएं नहीं. "हाइमाट बिस्ट दू ग्रोएसर जोएने" (यानी महान पुत्रों के देश ), इस पंक्ति को अब नैत्स्योनालराट यानी ऑस्ट्रियाई संसद के ऊपरी सदन ने बदल दिया है और अब महान बेटियों को भी इसमें जगह मिलेगी.
लेकिन इस पंक्ति में बदलाव से गीत की धुन में मुश्किल आ रही है. हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि दशकों से चलते आ रहे इस गीत को महिलाओं की तरक्की और उनके लिए अधिकारों को देखते हुए नए बोल एक छोटा समझौता हैं. राष्ट्रगान की तीसरी पंक्ति में भी कुछ बदलाव किए गए हैं जिससे कि देश में महिलाओं को भी प्रतिनिधित्व मिल सके. इससे धुन में कोई परेशानी नहीं आ रही है. लेकिन ऑस्ट्रिया अब भी 'पितृभूमि' ही रहेगा, इसमें कोई बदलाव करने की योजना नहीं है.
ऑस्ट्रियाई संसद में राष्ट्रीय गान बदलने के प्रस्ताव के पक्ष में ऑस्ट्रिया पीपुल्स पार्टी और सोशल डेमोक्रेट्स के साथ साथ ग्रीन्स भी शामिल थे. रूढ़ीवादी पार्टियां फ्रीडम्स पार्टी और अलायंस फॉर द फ्यूचर ऑफ ऑस्ट्रिया प्रस्ताव के खिलाफ रहे. फ्रीडम्स पार्टी की संस्कृति प्रवक्ता हाइडेमारी उंटरराइनर का कहना था कि राष्ट्रगान के बोल को बदलना "असांस्कृतिक" है और राष्ट्रगान कोई बार बार बदलने वाली कविता नहीं है.
ऑस्ट्रिया बहुत दिनों से इन बदलावों पर सोच रहा था. पिछले साल नैत्स्योनालराट में महिलाओं को समान अधिकारों के लिए एक बड़ा विवाद छिड़ गया था. रूढ़ीवादी पीपुल्स पार्टी की पूर्व महिला मंत्री मारिया राउख कालाट सोशल डेमोक्रेट्स और ग्रीन्स के साथ मिल कर इस मुद्दे पर एक गुप्त जांच टीम बनाने की कोशिश में थीं ताकि इस सिलसिले में और जानकारी हासिल की जा सके.
लेकिन राष्ट्रगान को बदलने की योजना सफल हुई. संसद में प्रस्ताव पारित होने के बाद चर्च से कुछ गायकों ने संसद के सामने इसे पेश किया. लेकिन अब भी निश्चित नहीं है कि सब लोग नए बोल वाले गीत को गाएंगे. पीपुल्स पार्टी के एक सदस्य का कहना था, "हम वही गाएंगे जो हमारा मन करेगा."
रिपोर्टः एएफपी,डीपीए/एमजी
संपादनः ए जमाल