कामगारों के साथ 'जानवरों' सा सलूक
१८ नवम्बर २०१३एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट ''द डार्क साइड ऑफ माइग्रेशन: वर्ल्ड कप के पहले कतर में निर्माण क्षेत्र पर चर्चा'' में वेतन, काम करने के खतरनाक हालात और बुरी परिस्थितियों में रहने जैसे मुद्दे शामिल हैं. 169 पन्नों की रिपोर्ट में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि प्रवासी मजदूरों के साथ 'जानवरों' की तरह व्यवहार किया जा रहा है. एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक उनके शोधकर्ताओं ने एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के मैनेजर से जब बात की तो उसने कामगारों की हालात बताने के लिए इसी शब्द का इस्तेमाल किया. रिपोर्ट में विश्व फुटबॉल की सर्वोच्च संस्था फीफा से खाड़ी के अमीर देश के ऊपर दबाव बनाने की भी अपील की गई है ताकि वहां काम कर रहे विदेशी मजदूरों की हालत बेहतर हो सकें. कतर में काम कर रहे ज्यादातर मजदूर दक्षिण या दक्षिण पूर्वी एशिया के हैं. ऐसी रिपोर्टें भी है कि निर्माण के दौरान वहां आए दिन गरीब मजदूर मारे जा रहे हैं.
जानवरों जैसा बर्ताव
निर्माण स्थलों पर मजदूरों के साथ गुलामों जैसे बर्ताव के दावों को दोहा ने नकारते हुए कहा कि वह रिपोर्ट को पहले से ही जारी जांच में शामिल करेगा. प्रति व्यक्ति आय के मामले में कतर दुनिया में सबसे आगे है. लेकिन आरोप लगते है कि कतर दान की आड़ में अपने बुर्ताव को ढंकने की कोशिश करता है. एमनेस्टी इंटरनेशनल के महासचिव सलिल शेट्टी कहते हैं कि रिपोर्ट से पता चलता है कि कतर के निर्माण क्षेत्र में ''शोषण खतरनाक स्तर पर है.'' उनके मुताबिक शोषण बड़े पैमान पर है न कि छिटपुट स्तर पर. शेट्टी कहते हैं, "फीफा का कर्तव्य है कि वह जनता के बीच कड़ा संदेश भेजे कि वह विश्व कप के कंस्ट्रक्टशन सेक्टर में मानवाधिकार उल्लंघनों को बर्दाश्त नहीं करेगा.''
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने फीफा के अधिकारियों से मुलाकात की है. शेट्टी के मुताबिक फीफा अधिकारी समस्या और और उसके समाधान के बारे में संजीदा हैं. 2022 के विश्व कप की मेजबानी मिलने के बाद से ही कतर विदेशी मजदूरों के साथ हो रहे बर्ताव को लेकर चर्चा में है. शेट्टी के मुताबिक दोहा के पास पूरे क्षेत्र में खुद को एक रोल मॉडल की तरह स्थापित करने का मौका है.
कतर पर दाग
तेल समृद्ध खाड़ी देश में मजदूरों की दशा एक बड़ा मुद्दा है. जवाब में कतर सरकार ने कहा है कि वह रिपोर्ट को अपनी जांच में शामिल करेगी. कतर के अधिकारियों ने कहा है कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून कंपनी डीएलए पाइपर से इस मुद्दे को अपनी जांच में शामिल करने को कहा है. क्यूएनए न्यूज एजेंसी ने विदेश मंत्रालय के अधिकारी के हवाले से कहा है, "कतर मानवाधिकारों के संरक्षण और उन्हें कायम रखने को बहुत महत्व देता है.''
एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक वीजा की प्रायोजन प्रणाली में मजदूरों के साथ दुर्व्यवहार बढ़ जाता है कि क्योंकि मालिक को बहुत ज्यादा अधिकार मिलते हैं. इस प्रणाली के तहत मजदूर बिना इजाजत देश छोड़कर नहीं जा सकता. शेट्टी के मुताबिक उनकी टीम ने दोहा में 70 मजदूरों के एक समूह से मुलाकात की जिन्हें पिछले 9-10 महीने से वेतन नहीं दिया गया है. ज्यादातर मजदूर श्रीलंका और नेपाल के थे.
एए/ओएसजे (एएफपी)