टायर कर सकते हैं ग्रां प्री को पंचर
५ जुलाई २०१३ग्रां प्री ड्राइवर्स एसोसिएशन (जीपीडीए) ने कहा है कि अगर जर्मनी में ब्रिटिश ग्रां प्री जैसा कोई भी खतरनाक या नाटकीय वाकया हुआ तो सभी ड्राइवर तुरंत ट्रैक छोड़ देंगे. जीपीडीए ने एक बयान जारी कर कहा, "ड्राइवरों ने तय किया है कि अगर जर्मन जीपी में भी ऐसी दिक्कतें आती हैं तो हम तुरंत आयोजन से अलग हो जाएंगे, टाली जा सकने वाली यह समस्या ड्राइवरों, मार्शलों और प्रशंसकों की जिंदगी खतरे में डाल सकती है."
फॉर्मूला वन कारों को टायर सप्लाई करने वाली इतालवी कंपनी पिरेली अब दबाव में है. ब्रिटेन के सिल्वरस्टोन में हुई रेस के बाद कंपनी ने कहा कि मोड़ों पर तीखे कट मारते समय टायर ज्यादा घिसे, बार बार घिसने के बाद टायर पंचर होने लगे और फिर फट गए. कंपनी ने यह भी आरोप लगाया कि टायरों में हवा का प्रेशर कम था.
जिस वक्त टायर फटे उस वक्त ड्राइवरों की स्पीड 160 किमी प्रतिघंटा से 320 किमी प्रतिघंटा थी. रेस के बाद ड्राइवरों को कंपनी की सफाई नागवार गुजरी. दो बार विश्व चैंपियन रह चुके फरारी के फर्नांडो अलोंसो ने तो साफ कह दिया कि सिल्वरस्टोन में रेस पहली बार नहीं हुई है. अगर मोड़ों पर तेज कट मारने से टायर फटे तो बीते सालों में ऐसी घटनाएं क्यों नहीं हुई. आशंका जताई जा रहा है कि टायर के डिजायन में चूक है. अलोंसो के साथी ड्राइवर फिलिपे मासा तो घायल भी हुए, टायर फटते ही उनकी कार ट्रैक से बाहर निकल गई.
ड्राइवरों की कड़ी नाराजगी के बाद पिरेली और फॉर्मूवा वन ने टायरों की गंभीरता से जांच करने की बात कही है. इसके बावजूद रविवार को न्यूरेन्बर्ग की रेस में टीमें इन्हीं टायरों के साथ ट्रैक पर उतरेंगी. जीपीडीए ने कहा है, "हम अपनी कारों को उच्च क्षमता तक भगाने के लिए तैयार हैं, ऐसा हम हमेशा करते है, हमारी टीम, हमारे प्रायोजक और प्रशंसक भी हमसे ऐसी ही उम्मीद करते हैं. हमें उम्मीद है कि टायरों में किए गए बदलावों से आशा के मुताबिक नतीजे आएंगे और हफ्ते के अंत में जर्मन जीपी में ऐसी दिक्कतें नहीं आएंगी." पिरेली को भी उम्मीद है कि न्यूरेन्बर्ग के ट्रैक पर उसके नए केवलर बेल्ट टायर धोखा नहीं देंगे.
फॉर्मूला वन में बहिष्कार की घटनाएं नई नहीं हैं. 2005 में टायरों की वजह से ही सात टीमें यूएस ग्रां प्री इंडियापोलिस से अलग हुईं. 1985 में नस्लवादी विवाद और 1982 में राजनीतिक विवाद की वजह से कुछ टीमों ने रेस का बहिष्कार किया.
ओएसजे/एनआर (एएफपी, रॉयटर्स)