तैराक थोर्प की दूसरी पारी
२२ अगस्त २०११तैराकी, गोल्फ या एथलेटिक्स जैसे खेल भले ही क्रिकेट और फुटबॉल की तरह लोकप्रिय न हों लेकिन उनके एकाध खिलाड़ी को पूरी दुनिया जानती है. ऑस्ट्रेलिया के तैराक इयान थोर्प ऐसे ही चुनिंदा तैराक हैं. कहते हैं कि फ्री स्टाइल में उनसे बेहतर तैराक कोई नहीं हुआ. 2000 के सिडनी ओलंपिक में थोर्प ने ऐसी तेजी दिखाई कि लोग दंग रह गए. लेकिन इसके बाद से उनकी रफ्तार मद्धिम पड़ गई और 2004 के एथेंस ओलंपिक के बाद पहले ब्रेक और बाद में बीमारी ने उनके करियर को खत्म कर दिया. उन्होंने 2006 में संन्यास ले लिया.
इस बीच माइकल फेल्प्स के रूप में अमेरिका का नया सितारा उभरा, जिसने न सिर्फ थोर्प की कमी की भरपाई कर दी, बल्कि रिकॉर्ड के मामले में उन्हें पीछे भी छोड़ दिया. फेल्प्स की तेजी ने थोर्प की कलात्मकता को किनारे कर दिया और अब अगर थोर्प को लौटना है, तो उन्हें 14 ओलंपिक गोल्ड जीतने वाले फेल्प्स के किले को भेदना होगा. फेल्प्स ने 2004 के एथेंस ओलंपिक में छह स्वर्ण जीता था. वहां थोर्प तीन गोल्ड ही जीत पाए थे. इसके बाद 2008 के चीन ओलंपिक में फेल्प्स ने जिन आठ मुकाबलों में हिस्सा लिया, सभी में गोल्ड मेडल जीता. वह अभी भी शानदार फॉर्म में हैं. हाल में चीन में हुए वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी उनके नाम चार सोना आ चुका है.
कितनी मुश्किल राह
थोर्प 10 साल पहले भले ही चैंपियन रहे हों लेकिन इस दौरान तकनीकी तौर पर खेल में बहुत से बदलाव आए हैं. उम्र के लिहाज से 28 साल के थोर्प भले ही फेल्प्स से सिर्फ तीन साल बड़े हों लेकिन लगभग छह साल तक स्वीमिंग पूल से दूर रहना उनके खिलाफ ही जाएगा. इस बीच तेज तैरने में उपयोग आने वाली ड्रेस और दूसरे उपकरणों ने तकनीकी तौर पर तैराकी को अलग मोड़ दे दिया है. लंबे वक्त तक इससे दूर रहने के बाद इस धारा में बह निकलना आसान नहीं होगा.
ट्रेनर पर नजर
थोर्प ने रूस के गेनाडी टोरेत्स्की का सहारा लिया है और स्विट्जरलैंड में उनके साथ ट्रेनिंग ले रहे हैं. टोरेत्स्की ने रूस के एलेक्जेंडर पोपोव को भी ट्रेनिंग दी थी, जिन्होंने 1990 के दशक में चार ओलंपिक स्वर्ण जीते थे. फ्री स्ट्रोक तैराकी के बादशाह समझे जाने वाले थोर्प के बारे में टोरेत्स्की का कहना है, "हमें दूसरे स्ट्रोक्स के जरिए उनकी तैराकी की क्षमता को विकसित करना है. हमें उन्हें फिर से मुकाबले के लिए उतारना है लेकिन जाहिर है कि हम अभी सारे पत्ते नहीं खोलना चाहते हैं."
टोरेत्स्की चाहते हैं कि थोर्प खुद को मानसिक तौर पर मुकाबले के लिए तैयार करें. उन्हें अगले साल लंदन में होने वाले ओलंपिक से पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीन बड़े मुकाबलों में हिस्सा लेना है और थोर्प की आजमाइश इन्हीं तीन जगहों पर हो जाएगी. उनके ट्रेनर का कहना है कि जब तक थोर्प के अंदर तैराकी की भूख नहीं जगेगी, तब तक उनका कामयाब होना आसान नहीं.
और भी मिसालें
लेकिन थोर्प के लिए वापसी आसान नहीं होगी. दूसरे खेलों में भी ऐसे मौके आ चुके हैं, जब चैंपियन खिलाड़ियों ने वापसी की हो लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली. जर्मनी के फॉर्मूला वन ड्राइवर मिषाएल शूमाखर ने संन्यास तोड़ कर 2010 में ट्रैक पर वापसी की. सात बार के वर्ल्ड चैंपियन लगभग दो साल में कोई रेस नहीं जीत पाए हैं. सात बार टूअर डी फ्रांस चैंपियनशिप जीतने वाले अमेरिका के लांस आर्मस्ट्रांग ने भी वापसी की लेकिन उन्हें भी मुंह की खानी पड़ी. दूसरी पारी में वह सिर्फ औसत प्रदर्शन ही कर पाए हैं.
टेनिस की दुनिया में जस्टिन हेना हार्डिन और किम क्लाइस्टर्स ने वापसी की. हेना हार्डिन को तो सफलता नहीं मिल पाई. अलबत्ता क्लाइस्टर्स ने एक ग्रैंड स्लैम जरूर जीता. लेकिन उसके बाद वह चोट से नहीं उबर पाईं और फिर से उन्हें बाहर बैठना पड़ा. वह वापसी करने पर पहले नंबर की खिलाड़ी नहीं बन पाईं. ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेटर शेन वॉर्न पर भी पिछले साल अंतरराष्ट्रीय मैचों में लौटने का जबरदस्त दबाव था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया.
थोर्प के लिए इन मुश्किलों के बीच वापसी और जीत आसान होगी या नहीं, बताना मुश्किल है. लेकिन तैराकी को पसंद करने वाले लोगों के लिए 2012 के लंदन ओलंपिक में थोर्प और फेल्प्स का मुकाबला देखना दिलचस्प होगा.
रिपोर्टः अनवर जे अशरफ
संपादनः महेश झा