धोनी, सहवाग तो मैच पलट देते हैं: हरभजन
२१ जनवरी २०११हरभजन का कहना है, "हमारी टीम में कई खिलाड़ी हैं जो मैच का रुख बदलने की ताकत रखते हैं. वीरेंद्र सहवाग भी उन्हीं में से एक हैं. जब भी वह बल्लेबाजी करते हैं तो गेंदबाज परेशानी में पड़ जाते हैं. उन्होंने मुश्किल वक्त में मैचों का रुख बदला है. ऐसे ही एक और खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी हैं जिनका अपना ही अंदाज है. वह मैदान में गेंद को किसी भी तरफ हिट करने की ताकत रखते हैं. ये दोनों ऐसे खिलाड़ी हैं जो हमारी टीम में मैच का रुख बदलने का दम रखते हैं."
वैसे हरभजन सिंह अपनी प्रेरणा पाकिस्तान के ऑफ स्पिनर सकलैन मुश्ताक को बताते हैं और उन्हीं की वजह से वह गेंदबाजी का अपना "दूसरा" अंदाज विकसित कर सके. इसकी वजह से हरभजन सिंह ने अपने करियर में कई बल्लेबाजों को शिकार बनाया. भज्जी का कहना है, "जब मैं बच्चा था, तो चंडीगढ़ में प्रैक्टिस किया करता था. मैं सकलैन मुश्ताक को देखा करता था जो बहुत सारी "दूसरा" गेंदें फेंका करते थे. मैं बड़े ध्यान से उन्हें देखता था. इसी के आधार पर मुझे आइडिया आए जिससे मुझे बिल्कुल ठीक तरह गेंद फेंकनी आई."
अपनी खुद की तकनीक विकसित करने में हरभजन को अपने साथियों का भी भरपूर सहयोग मिला. वह कहते हैं, "मैं अपने साथी अरुण वर्मा के साथ खूब प्रैक्टिस किया करता था जो विकेटकीपर था. मैं अपनी तकनीकों को आजमाता और इन्हें समझता. बहुत मेहनत करनी पड़ी और तब जाकर विकेट चटकाने वाली यह तकनीक तैयार हुई." दो टेस्ट सेंचुरी लगा चुके हरभजन सिंह कहते हैं कि दो साल की प्रैक्टिस के बाद वह दूसरा फेंकने में माहिर हो गए.
वह उन मैचों को भी याद करते हैं जब उनके दूसरा की वजह से मैच ही बदल गया. खासकर उन्हें 2001 में कोलकाता के इडेन गार्डंस पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मैच में लगाई गई हैट्रिक याद आती है जिसे भारत ने फॉलोऑन के बाद भी जीत लिया. हरभजन कहते हैं, "मुझे बहुत से मैच याद आते हैं जब दूसरा की वजह से न सिर्फ मेरे लिए बल्कि भारत के लिए भी मैच एकदम बदल गया. कोलकाता में खेला गया एक मैच याद आता है जहां हम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेल रहे थे. वे हमारे गेंदबाजों की धुनाई कर रहे थे. मैने तभी एक दूसरा फेंका और रिकी पोंटिंग एलबीडब्ल्यू हो गए. मैंने उस मैच में भारत के लिए अपनी पहली हैट्रिक (पोंटिंग, एडम गिलक्रिस्ट और शेन वॉर्न को आउट कर) बनाई."
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः वी कुमार