भारत के सामने सीरीज जीत का मौका
२० जनवरी २०११पिछले 30 सालों में दक्षिण अफ्रीका में भारत को सिर्फ तीन वनडे मैचों में जीत मिली थी और पिछले चार दिनों में धोनी की टीम ने दो मैच जीते हैं. इतना ही नहीं, केपटाउन के मैदान को दक्षिण अफ्रीका का अभेद्य गढ़ माना जाता है और यहां 90 रनों में दक्षिण अफ्रीका के पहले चार विकेट चटखा देना और 20 रनों में आखिरी 6 विकेट लेना-इसका असर सिर्फ़ भारत नहीं, बल्कि दक्षिण अफ्रीका की टीम के मनोबल पर भी पड़ा है. दक्षिण अफ्रीका के 220 रनों में से 110 रन सिर्फ प्लेसिस और दुमिनी की साझेदारी में बने. और अब चौथे मैच में जीत के साथ टीम इंडिया पहली बार दक्षिण अफ्रीका में वनडे सीरीज जीतने का गौरव हासिल कर सकती है.
शायद अपनी बल्लेबाजी की कमजोरी से भी भारतीय टीम का मनोबल बढ़ा है. 93 रनों पर भारत के पांच विकेट गिर चुके थे. रन रेट सिर्फ 3.80 थी, आस्किंग रेट 5.04. दस गेंद बाकी रहते हुए इस लक्ष्य को पार कर लेने के बाद अब भारतीय खिलाड़ियों को अहसास होने लगा है कि वे किसी भी स्थिति से उबरने के काबिल हैं.
यह भी कम महत्वपूर्ण नहीं है कि विश्वकप के लिए भारतीय टीम की घोषणा हो चुकी है. अब भारतीय खिलाड़ी प्रदर्शन के दबाव में नहीं होंगे, खुलकर खेल सकेंगे. जिन खिलाड़ियों को मौका नहीं मिला है, वे दिखाने की कोशिश करेंगे कि वे भी हकदार हैं. कुछ खिलाड़ी अपनी छवि पर खरा उतरने की कोशिश करेंगे, मिसाल के तौर पर युवराज सिंह. वैसे वांडरर्स में युवराज अपने अर्धशतक के साथ दिखा चुके हैं कि उनका फार्म धीरे-धीरे लौट रहा है.
समस्याएं बनी हुई है. बल्लेबाजी अभी तक लड़खड़ा रही है. सवाल बना हुआ है कि क्या मुनाफ का फार्म बना रहेगा? नेहरा कब अपना जल्वा दिखाएंगे? और सबसे बड़ी बात: कहीं बहुत अधिक आत्मविश्वास टीम इंडिया को न ले डूबे.
रिपोर्ट: उज्ज्वल भट्टाचार्य
संपादन: एम जी