नहीं चाहिए अमेरिकी फौजीः पाकिस्तान
११ जून २०११अगले महीने अमेरिकी रक्षा मंत्री का पद संभालने वाले पैनेटा शुक्रवार को अचानक पाकिस्तान के दौरे पर पहुंचे. एबटाबाद में अल कायदा नेता ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद यह पैनेटा का पहला पाकिस्तान दौरा है. पाकिस्तानी सेना ने गुरुवार को कहा है कि देश के भीतर अमेरिकी सैनिकों की संख्या में बड़ी कटौती की गई है. साथ ही अमेरिका के साथ खुफिया जानकारी साझा करने पर भी निश्चित सीमाएं लागू की गई हैं.
बढ़ोतरी मंजूर नहीं
एक पाकिस्तानी अधिकारी ने कहा, "उन्होंने (पैनेटा ने) अमेरिकी प्रशिक्षकों और एजेंटों की संख्या में कटौती पर चिंता जताई. हमने उन्हें साफ बता दिया है कि हमारी सरजमीन पर किसी बढोतरी को स्वीकार नहीं किया जाएगा."
पैनेटा ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल अश्फाक कयानी और खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख अहमद शुजा पाशा से मुलाकात की. पाकिस्तानी सेना के बयान में कहा गया है, "दोनों पक्षों ने भविष्य में खुफिया जानकारी साझा करने के तौर तरीकों पर चर्चा की." वहीं अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि उन्हें बातचीत के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
पाक पर दबाव
अमेरिका ने पाकिस्तान को बिना बताए 2 मई को एबटाबाद में अभियान चलाया और ओसामा बिन लादेन को मार गिराया. इसके बाद दोनों देशों के सैन्य और खुफिया रिश्ते तनाव का शिकार हैं. इतने दिन तक एबटाबाद में बिन लादेन के छिपे रहने की वजह से पाकिस्तानी सुरक्षा प्रतिष्ठान की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठ रहे हैं.
एक सैन्य अधिकारी ने बताया, "हमने उन्हें साफ तौर पर बता दिया है. हमें उनके लोग नहीं चाहिए. खुफिया जानकारी साझा करने तक ठीक है और हम इसके लिए तैयार हैं." पाकिस्तान पर यह साबित करने का दबाव है कि वह आतंकवाद के खिलाफ मुहिम में भरोसेमंद साथी है.
अमेरिका मानता है कि युद्ध से जूझ रहे अफगानिस्तान में पाकिस्तान के सहयोग के बिना शांति कायम करना मुमकिन नहीं है. शुक्रवार को ही अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई पाकिस्तान दौरे पर पहुंचे और उन्होंने तालिबानी उग्रवाद को खत्म करने में मदद मांगी.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः वी कुमार