नहीं रहा कलाकारों को स्टार बनाने वाला
२६ जनवरी २०११ड्रग्स का नशा और हिटलर के बारे में जबर्दस्त लोकप्रिय फिल्में बनाने वाले आइशिंगर को लॉस एंजिल्स के उनके घर में सोमवार को दिल का दौरा पड़ा जिसके बाद उन्हें बचाया नहीं जा सका. आखिरी वक्त में उनके परिवार के सदस्य और उनके दोस्त साथ थे.
आइशिंगर ने हर तरह की फिल्में बनाईं. इनमें नशीली दवाओं की चपेट में आई बर्लिन की एक लड़की की कहानी क्रिस्टियान एफ से लेकर कल्पनालोक का सफर कराने वाली द नेवरएंडिंग स्टोरी भी है. मध्ययुगीन रहस्य कथाओं पर उनकी बनाई फिल्म द नेम ऑफ द रोज को कौन भूल सकता है. यह कहानी उम्बेर्टो इको के उपन्यास पर आधारित थी और इसमें शॉन कोनरी ने मुख्य भूमिका निभाई.
2006 में परफ्यूमः द स्टोरी ऑफ अ मर्डरर के नाम से उन्होंने एक ऐसे नौजवान की कहानी पर फिल्म बनाई जिसमें खुशबू को पहचानने की अनोखी काबिलियत होती है. यह नौजवान एक अद्भुत खुशबू बनाने के लिए जवान लड़कियों की हत्या करता है. यह कहानी पैट्रिक सुएसकिंड के लिखे उपन्यास पर आधारित थी और फिल्म दुनिया भर में खासी चर्चित हुई.
2004 में डाउनफॉल के लिए स्क्रीनराइटर के रूप में आइशिंगर ऑस्कर में नामांकित हुए. फिल्म में हिटलर के बंकर में बीते आखिरी दिनों की दास्तान है. आइशिंगर इस फिल्म के प्रड्यूसर भी थे. इस फिल्म ने जर्मनी में जंग के बाद जर्मन कलाकारों के मन से हिटलर की भूमिका निभाने के विरोध को भी खत्म कर दिया. इससे पहले जो भी फिल्में बनती थीं उनमें हिटलर के डॉक्यूमेंट्री विडियो फुटेज का ही इस्तेमाल किया जाता था. आइशिंगर की बनाई फिल्म नो वेयर इन अफ्रीका को 2003 में ऑस्कर पुरस्कार मिला.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः वी कुमार