पाकिस्तान ने अमेरिकी सैनिकों से एयरबेस छोड़ने को कहा
२७ नवम्बर २०११पाकिस्तानी विदेश मंत्री हिना रब्बानी खर ने अपनी अमेरिकी समकक्ष हिलेरी क्लिंटन को बताया कि इन हमलों ने, "दोनों देशों के बीच रिश्तों को सुधारने के लिए चली आ रही प्रक्रिया को बेकार कर दिया है." हिना रब्बानी ने कहा कि सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने अफगानिस्तान में नाटो के सैनिकों की रसद की आपूर्ति तुरंत रोकने का फैसला किया है. इसके साथ ही अमेरिकी सैनिकों से कहा गया है कि वो दक्षिण पश्चिम में बलूचिस्तान प्रांत के शम्सी एयरबेस को 15 दिन के भीतर खाली कर दें. पाकिस्तान में विरोध का स्वरूप तय करने के लिए प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी की अध्यक्षता में बुलाई गई रक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की आपात बैठक में सेना प्रमुख जनरल अशफाक कियानी के साथ ही तीनों सेनाओं के प्रमुख भी मौजूद थे.
विदेश मंत्री ने कहा कि इन हमलों ने, "अंतरराष्ट्रीय कानून और मानव जीवन की पूरी तरह से अवहेलना की है इसके साथ ही यह पाकिस्तान की संप्रभुता का घोर उल्लंघन है जिसने पाकिस्तान को अपने रिश्तों की शर्तों पर फिर से विचार करने पर मजबूर किया है." शनिवार को जैसे ही पाकिस्तान में यह खबर फैली की नाटो के हैलीकॉप्टर और जेट विमानों ने सीमा पर मोहमंद में दो चेकपोस्ट पर हमला कर 24 सैनिकों को मार दिया है पूरे देश में गुस्से की लहर दौड़ गई. यह पाकिस्तान के सात कबायली जिलों में से एक है.
अधिकारियों का कहना है कि बिना किसी उकसावे के किए गए इस हमले में 13 सैनिक घायल भी हुए हैं. अपुष्ट खबरों में यह भी कहा जा रहा है कि मरने वालों की संख्या बढ़ भी सकती है. आधिकारिक विरोध दर्ज कराने के लिए इस्लामाबाद में अमेरिकी राजदूत कैमरन मुंटर को बुलाया गया.
अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और रक्षा मंत्री लियोन पनेटा ने एक संयुक्त बयान जारी कर इन मौतों पर "गहरी सांत्वना" जताई है और इस मामले में नाटो की जांच में पूरा सहयोग करने का भरोसा दिया है.
विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन, सेना प्रमुख जनरल मार्टिन डेम्प्सी और अफगानिस्तान में अमेरिकी, नाटो सेनाओं के प्रमुख जनरल जॉन एलन ने अपने पाकिस्तानी समकक्षों से इस घटना के बाद फोन पर बात की है. बयान में कहा गया है, "अमेरिकी कूटनीतिज्ञों और सैन्य अधिकारियो की बातचीत में सहानुभूति के साथ ही घटना की परिस्थितियों पर गंभीरता से विचार करने की बात कही गई है. पाकिस्तान और अमेरिकी के रिश्ते अहम हैं जो दोनों देश के लोगों के आपसी हित में है."
अफगानिस्तान में नाटो की रसद की आपूर्ति के दो प्रमुख रास्ते पाकिस्तान से जाते हैं. इनमें से एक दक्षिण पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान से है और दूसरा उत्तर पश्चिमी कबायली जिले खैबर एजेंसी से. इन दानों रास्तों से अफगानिस्तान में नाटो की रसद का करीब 40 फीसदी हिस्सा पहुंचता है. पहले तो यह आंकड़ा करीब 70 फीसदी था लेकिन पिछले कुछ महीनों में नाटो ने रसद पाने के कुछ वैकल्पिक रास्ते भी तलाशे हैं. अब मध्य एशिया से भी रसद अफगानिस्तान तक पहुंच रही है.
रिपोर्टः डीपीए,पीटीआई/एन रंजन
संपादनः ओ सिंह