प्लेटफॉर्म पर सोते भारतीय हॉकी खिलाड़ी
१३ जून २०११खेल अधिकारियों की लापरवाही से भारत में खिलाडियों को एक बार फिर बेइज्जत होना पड़ा है. और वह भी उस खेल में, जिसमें भारत आठ ओलंपिक गोल्ड मेडल जीत चुका है. वह खेल, जिसे राष्ट्रीय खेल कहा जाता है और जिसने दुनिया को ध्यानचंद जैसा जादूगर दिया है.
नेशनल हॉकी चैंपियनशिप में भाग लेने जब कई टीमों के खिलाड़ी भोपाल पहुंचे, तो रेलवे प्लेटफोर्म पर ही उन्हें अपना बिस्तर लगाना पड़ा. उन्हें न तो कोई लेने स्टेशन पहुंचा था, ना ही उन्हें मालूम था की उन्हें कहां रहना है. कई घंटे प्लेटफोर्म पर ही लू के थपेड़े खाने के बाद किसी तरह उत्तर प्रदेश की टीम को एक गेस्ट हाउस मिला. लेकिन वहां कोई सुविधा नहीं थी. एक छोटे से कमरे में आठ खिलाडियों के साथ उभरता हुआ युवा खिलाड़ी सुहैल अहमद भी था. सुहैल की समझ में नहीं आ रहा कि जब गेस्ट हाउस में उनके बिस्तरों पर दरी नहीं और कमरों में पानी नहीं, तो वे हॉकी कैसे खेलेंगे.
पंजाब और हरियाणा की टीमों का भी यही हाल था. भारतीय हॉकी महासंघ के आपसी झगड़े की वजह से पांच साल से राष्ट्रीय चैंपियनशिप नहीं हुई है. और अब जब हो रही है तो महज़ खानापूरी है. लेकिन भारत के पूर्व सेंटर फॉरवर्ड जगबीर सिंह हैरान नहीं हैं, दुखी जरूर हैं.
"सवाल यह है कि इसको ठीक कौन करेगा. हैरानी की बात है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने हॉकी खिलाड़ियों को उनके प्रदर्शन के लिए पैसा देने के लिए भी बुलाया है, लेकिन बिस्तर और पानी नहीं दे सकते."
हॉकी इंडिया के अधिकारियों का कहना है की वो ग्राउंड पर चैंपियनशिप तो करा सकते हैं बाकी काम स्थानीय ऑर्गेनाइजिंग कमेटी की जिम्मेवारी होती है. लेकिन स्थानीय ऑर्गेनाइजिंग कमेटी का हाल भी बुरा है. मध्य प्रदेश खेल विभाग के डायरेक्टर संजय चौधरी एक हाथ और भी आगे हैं, "यह बात बिलकुल गलत है. मेरे विभाग से जितना हो सकता था हमने किया है. और वैसे भी भोपाल में पानी की कमी है."
अफसोस यह है कि इस राष्ट्रीय चैंपियनशिप के आधार पर ही ओलंपिक क्वालिफाइंग टूर्नामेंट के लिए भारतीय टीम का चयन होना है. लेकिन इन शर्मनाक हालत में खिलाड़ी कैसे सुंदर प्रदर्शन दिखा सकते हैं? क्या वे लंदन ओलंपिक के लिए क्वालीफाई भी कर पाएंगे.
खेल मंत्रालय ने भी हॉकी इंडिया और मध्य प्रदेश खेल विभाग को चेतावनी देकर अपनी जिम्मेवारी पूरी कर ली है. खेल मंत्री अजय माकन का कहना है कि उन्होंने हॉकी इंडिया और मध्य प्रदेश खेल विभाग को चेतावनी दे दी है. लेकिन अगर इन चेतावनियों से ही भारतीय खेल सुधर जाता तो बात ही क्या थी.
रिपोर्टः नॉरिस प्रीतम, दिल्ली
संपादनः ए जमाल