फुटबॉल वर्ल्ड कप और ओलंपिक के चलते बेघर
११ मई २०११रियो डी जेनेरो के एक हिस्से में ढेर सारे मलबे के बीच सिर्फ जोस सांतोस दे ओलिविएरा का घर खड़ा है. रियो के पश्चिम में विया रिक्रेइयो 2 शहर की झुग्गी बस्ती है. यहां रहने वाले 200 परिवारों के घर जमींदोज कर दिए गए है. इन परिवारों की गलती सिर्फ एक ही है कि वह दुनिया के फुटबॉल वर्ल्ड कप और ओलंपिक खेलों के आयोजन के बीच में आ रहे हैं. इस इलाके में तीन नए बस रूट बनाए जा रहे हैं. जैसे जैसे नई योजना के हिसाब से काम आगे बढ़ रहा है नए नए अड़ंगे लग रहे हैं. ब्राजील का असमान समाज, बिना किसी प्लानिंग के बसे इस शहर में झुग्गी झोपड़ियों की भरमार हैं.
संवाद नहीं
मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले ग्रुप्स का कहना है कि गरीब निवासी अपना सब कुछ खो रहे हैं. अभी से ही यह सवाल उठने लगे हैं कि खेल के मेगा इवेन्ट्स ब्राजील के समाज में गहरे बैठे विभाजन को पाट पाएंगे या फिर उन्हें और गहरा कर देंगे.
एमनेस्टी इंटरनेशनल और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिवेदकों ने वर्ल्ड कप और ओलंपिक के लिए हो रहे निर्माण के तहत बस्तियां तोड़ने की निंदा की है.
संयुक्त राष्ट्र के प्रतिवेदक राक्वेल रोल्निक ने पिछले महीने कहा था कि उन्हें ब्राजील के और शहरों से भी ऐसी शिकायत मिली है. फुटबॉल वर्ल्ड कप के मैचों के लिए 12 में 8 शहरों में बस्तियां खत्म की जा रही हैं जिसमें साओ पाउलो भी शामिल है.
रोल्निक के मुताबिक प्रभावित लोगों से सरकार बात नहीं कर रही और उन्हें ठीक मुआवजा भी नहीं मिल रहा जबकि ब्राजील के कई इलाकों में जमीन की कीमत दिन दुनी रात चौगुनी बढ़ रही है.
गलत रास्ता?
ओलिविएरा का घर इसलिए अभी तक साबुत है क्योंकि उन्होंने बेदखली के खिलाफ कानूनी शिकायत दर्ज कर दी है. उन्होंने कहा कि बुलडोजरों और ट्रक्स के यहां आने से पहले किसी निवासी को शहर की प्लानिंग की मीटिंग में नहीं बुलाया गया. प्रभावित और गुस्साए निवासियों का कहना है कि वह इसलिए भुगत रहे हैं क्योंकि उन्हें किसी का समर्थन नहीं मिल रहा है और बड़ी बड़ी इमारतों के बीच उनके घर फिट नहीं होते. ओलिविएरा कहते हैं, "हम लोग हैं कचरा नहीं. हमें आर्थिक शक्तियों ने कुचल दिया है."
रियो के अधिकारियों ने कहा है कि वे तीन हजार घर जब्त कर लेंगे ताकि 39 किलोमीटर लंबी बस रूट ट्रांसकारियोका बना सके. उन्होंने यह भी दावा किया कि जब्ती की नोटिस दी जा रही हैं और वैकल्पिक निवास की व्यवस्था भी कर रहे हैं और उनकी जमीन का पैसा भी उन्हें दे रहे हैं. हालांकि झुग्गी बस्तियों के अवैध होने का मतलब है कि उन्हें जमीन के एवज में मुआवजा नहीं देना होगा.
रियो के आवासन सचिव जॉर्ग बित्तार ने कहा,"शहर बिलकुल गरीबों को हटाने की कोशिश नहीं कर रहा है." वहीं रूसेफ की लेफ्टिस्ट वर्कर पार्टी के सदस्य कहते हैं, "यह नए रूट्स कई साल की मांग को पूरा कर रहे हैं. इन बसों का इस्तेमाल करने वाले लोग गरीब ही होंगे अमीर नहीं."
चीन में भी करीब 15 लाख लोगों को बीजिंग ओलंपिक्स के दौरान विस्थापित कर दिया गया था.
विकल्पहीन
रियो की 43 साल की तानिया मारिया एल्वेस कहती हैं, "मेरे पास ज्यादा विकल्प नहीं थे क्योंकि मेरे चार बच्चे हैं. मैं सड़क पर आ जाती. तानिया ने मुआवजे के 24,700 डॉलर पास में एक घर खरीदने के लिए इस्तेमाल कर लिए."
एमनेस्टी के प्रमुख सलिल शेट्टी ब्राजील के विस्थापितों से मिले. उनंका कहना है कि मिलने वाला मुआवजा बहुत ही कम है.
दूसरे ब्राजिलाई लोगों की तरह ही सुएली अफोंसो डा कोस्टा को फुटबॉल बेहद पसंद है और अपने देश को वर्ल्ड कप में जीतते देखना उनके लिए शानदार अनुभव था. लेकिन इस विकास से वह खुश नहीं हैं. "शहर कभी हमारी मदद के लिए नहीं आया. कभी हमारी स्वास्थ्य की चिंता नहीं की. साफ सफाई कुछ नहीं. लेकिन जब नष्ट करने की बात आई तो वह हमें लूटने आ गए. हम विकास, संस्कृति और खेल का समर्थन करते हैं लेकिन इस बार वह आए और उन्होंने हमारा जीवन तहस नहस कर दिया."
रिपोर्टः रॉयटर्स/आभा एम
संपादनः उभ