फ्रांस को सोमवार सुबह का इंतजार
६ मई २०१२सुबह आठ बजे से ही मतदाता वोट डालने के लिए बूथ पर पहुंचने लगे. स्थानीय समय से शाम आठ बजे तक लोग मतदान हुआ. इस तरह फ्रांस के चार करोड़ साठ लाख मतदाता तय कर रहे हैं कि देश की सत्ता किसे सौंपी जाए.अब तक ओपीनियन पोल के अनुसार समाजवादी नेता फ्रांसोआ ओलांद सारकोजी से काफी आगे चलते आए हैं. 22 अप्रैल को हुए चुनाव के पहले चरण में ही ओलांद को सारकोजी से करीब पचास लाख अधिक मत मिले. पहले राउंड के नतीजों को देख कर तो ओलांद की जीत निश्चित ही लग रही थी. लेकिन पिछले दो दिनों में सारकोजी और ओलांद के बीच मुकाबला टक्कर का हो गया है. जहां ओलांद साफ साफ दस अंक आगे चल रहे थे, वहीं आखिरी ओपीनियन पोल में उन्हें सारकोजी से चार से आठ अंक आगे बताया गया. सारकोजी ने चुनाव से एक दिन पहले भरोसा दिलाया कि रविवार को चुनाव में कांटे का मुकाबले देखने को मिलेगा और भले ही लोग उनकी हार को तय मान रहे हैं, लेकिन अंतिम फैसला सब को हैरान कर जाएगा.
ओलांद का आत्मविश्वास
ओलांद रविवार सुबह ही फ्रांस के छोटे से शहर तुले में मतदान केंद्र पहुंचे. वह तुले के मेयर रह चुके हैं. टीवी पर चल रही लाइव कवरेज में उन्हें वोटरों से हाथ मिलाते, गले मिलते और बहुत खुश अंदाज में बातचीत करते देखा गया. रिपोर्टरों से बात करते हुए उन्होंने कहा, "आज का दिन काफी लंबा रहेगा. अब यह तो फ्रांस के लोगों को तय करना है कि क्या आज का दिन एक अच्छा दिन साबित होगा." वहीं सारकोजी ने दोपहर को पत्नी कार्ला ब्रूनी के साथ राजधानी पेरिस में वोट डाला. इस दौरान पत्रकारों और कैमरों ने उन्हें घेरा हुआ था, लेकिन सारकोजी ने कोई बयान नहीं दिया.
सारकोजी की मुश्किल
फ्रांस के नियमों के अनुसार मतदान के दौरान नतीजे प्रकाशित नहीं किए जा सकते. ऐसा करने पर 75 हजार यूरो का जुर्माना है. लेकिन फ्रांस के स्वामित्व वाले कुछ इलाकों से नतीजों के लीक होने की खबर है. इन इलाकों में शनिवार को ही चुनाव हो गया था. बेल्जियम के सरकारी मीडिया के अनुसार ओलांद सारकोजी से काफी आगे रहे हैं.
माना जा रहा है कि यदि ओलांद जीतते हैं तो यह उनकी लोकप्रियता का नहीं, बल्कि सारकोजी के खिलाफ जनता के गुस्से का नतीजा होगा. एक वोटर ने कहा, "मैंने ओलांद को वोट दिया है. इसमें जितना मैं समाजवाद का समर्थन कर रहा हूं उतना ही सारकोजी के प्रति अपनी अस्वीकृति दिखा रहा हूं."
जर्मनी से संबंध
फ्रांस के चुनाव पर पूरे यूरोप की नजर है. यूरोसंकट से गुजर रहे यूरोप के लिए यह जानना बेहद जरूरी होगा कि इस समस्या से निपटने में अब नीतियां क्या दिशा लेती हैं. फ्रांस यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. सारकोजी और जर्मन चासंलर अंगेला मैर्केल की जोड़ी को यूरोसंकट से जूझते देखा गया है. मैर्केल के कार्यालय ने कहा है कि चुनाव के नतीजे कुछ भी हों, उनका फ्रांस और जर्मनी के रिश्तों और यूरोसंकट की नीतियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. पर ओलांद अपना इरादा पहले ही साफ कर चुके हैं. उन्होंने कहा है कि यदि वह राष्ट्रपति के तौर पर चुन लिए गए तो वह मैर्केल के साथ मिल कर नई रणनीतियां बनाने पर विचार करना चाहेंगे.
फ्रांस में बदलाव
चुनाव के नतीजे का केवल यूरोसंकट और फ्रांस की आर्थिक व्यवस्था पर ही असर नहीं पड़ेगा. इस से यह भी तय होगा कि फ्रांस की सेना और कितना वक्त अफगानिस्तान में बिताएगी. देश में अप्रवासियों को लेकर भी ओलांद के विचार सारकोजी से अलग हैं. कुल मिलाकर फ्रांस के आर्थिक, सैन्य और कूटनीतिक ढांचे को नए राष्ट्रपति के आने से एक नई शक्ल मिल सकती है. ओलांद का सत्ता संभालना देश के लिए इस लिहाज से भी अलग होगा कि पिछले दो दशकों में फ्रांस की बागडोर किसी समाजवादी नेता के हाथ में नहीं रही है.
आईबी, ओएसजे (एएफपी, डीपीए)