भारत में बढ़ता ब्याज और घटता विकास
२५ अक्टूबर २०११चौथाई फीसदी की इस वृद्धि के साथ रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को साढ़े आठ फीसदी पर पहुंचा दिया, जबकि रिवर्स रेपो रेट साढ़े सात फीसदी पर बना रहेगा. रेपो रेट ब्याज की वह दर है, जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक दूसरे कमर्शियल बैंकों को पैसे देता है, जबकि रिवर्स रेपो ब्याज की उस दर को कहते हैं, जो कमर्शियल बैंकों को रिजर्व बैंक में अपने पैसे रखने पर मिलते हैं. भारत में मौद्रिक नीति निर्धारक संस्था रिजर्व बैंक का कहना है कि हो सकता है कि इसके बाद इस साल ब्याज दरों में बदलाव की जरूरत न पड़े.
रिजर्व बैंक के गवर्नर दुवुरी सुब्बाराव का कहना है, "दिसंबर में इस बात की संभावना कम है कि ब्याज के लिए कोई और कदम उठाया जाए. अगर हमारे कदम कारगर साबित हुए तो आने वाले वक्त में इसमें किसी बदलाव की आवश्यकता नहीं होगी." भारत में यह पिछले तीन साल का सबसे ज्यादा रेपो रेट है, जबकि रिवर्स रेपो रेट के मामले में 10 साल का रिकॉर्ड बन चुका है.
विकास दर घटेगा
लेकिन इस बदलाव के साथ ही भारत में विकास दर का अनुमान घटा दिया गया. उसने कहा कि अब भारत में आठ फीसदी नहीं, बल्कि 7.6 फीसदी के दर से आर्थिक विकास होने का अनुमान है. अभी हाल ही में विश्वस्तरीय कंसलटेंसी फर्म अर्न्स्ट एंड यंग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत विकास के मामले में दो साल के अंदर चीन को पछाड़ कर दुनिया का सबसे तेज विकास करने वाला देश बन सकता है. फिलहाल वह दूसरे नंबर पर है.
रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि इस कदम के साथ वह लगातार बढ़ रही महंगाई पर काबू पा सकेगा. भारत सरकार की सबसे बड़ी चिंता महंगाई है, जो हाल के दिनों में लगभग 10 फीसदी के आस पास है. रिजर्व बैंक इसे छह प्रतिशत के आस पास लाना चाहता है, जो मुमकिन नहीं हो पा रहा है. हालांकि उसका दावा है कि ताजा फैसले के बाद दिसंबर से महंगाई कम होनी शुरू हो जाएगी और मार्च, 2012 में यह सात फीसदी के आस पास हो सकती है.
फैसले का स्वागत
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने रिजर्व बैंक के इस फैसले का स्वागत किया है, "महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है और रिजर्व बैंक के इस कदम से इस पर काबू पाया जा सकेगा. मुझे पूरी उम्मीद है कि आने वाले दिनों में महंगाई अपेक्षाकृत कम हो सकेगी." उन्होंने माना कि इससे विकास दर पर असर पड़ेगा, "इससे विकास पर असर पड़ेगा. लेकिन मुश्किल स्थिति में मुश्किल फैसले ही लेने होते हैं."
भारत के कमर्शियल बैंकरों ने अंदेशा जताया है कि रेपो रेट बढ़ने का सीधा असर आम लोगों पर होगा. उन्हें कार और घर कर्ज पर ज्यादा ब्याज देना होगा. ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के एक्जक्यूटिव डायरेक्टर एससी सिन्हा ने कहा, "रिजर्व बैंक के फैसले के बाद दूसरे बैंक भी फौरन रकम रखने और कर्ज की ब्याज दर बढ़ा सकते हैं. हो सकता है कि इसमें भी चौथाई फीसदी तक का फर्क आ जाए."
रिपोर्टः पीटीआई/एएफपी/ए जमाल
संपादनः महेश झा