मदर टेरेसा के चमत्कार का इंतजार
२४ अगस्त २०१०चर्च से जुड़े एक धर्माधिकारी ने बताया कि नियमों के तहत मदर टेरेसा को संत की पदवी देने से पहले उनके चमत्कारों की पुष्टि होना जरूरी है. बरुईपुर के बिशप सल्वाडोर लोबो ने बताया, "हमें दुनिया भर से रिपोर्टें मिल रही हैं कि मदर ने उनकी सेवा की, उनका साथ दिया. लेकिन चमत्कार अलग चीज हैं. किसी की मदद करने से किसी को संत का दर्जा नहीं दिया जा सकता है."
मदर टेरेसा का 1997 में निधन हो गया. इसके बाद रायगंज की एक महिला ने दावा किया कि मदर से प्रार्थना करने पर उसके पेट का ट्यूमर ठीक हो गया. इस आधार पर वेटिकन के पोप जॉन पॉल द्वितीय ने मदर टेरेसा को संत का दर्जा देने की प्रक्रिया शुरू की और सिर्फ पांच साल बाद 19 अक्तूबर, 2003 में इसका पहला पड़ाव पार कर लिया गया.
लेकिन चर्च के नियमों के तहत किसी को संत बनाने के लिए मेडिकल क्षेत्र से जुड़े एक और चमत्कार की आवश्यकता है और मदर टेरेसा के मामले में इसी दूसरे चमत्कार का इंतजार किया जा रहा है.
मदर टेरेसा की दसवीं पुण्यतिथि के मौके पर 2007 में गुवाहाटी के एक पादरी ने दावा किया कि मदर टेरेसा से प्रार्थना करने पर उनकी किडनी की बीमारी ठीक हो गई. लेकिन लोबो ने बताया कि चर्च ने इस दावे को खारिज कर दिया. मदर टेरेसा के संत बनने की प्रक्रिया में लगी जांच टीम की देख रेख लोबो ने ही की थी.
उन्होंने बताया कि इसके बाद टीम का काम पूरा हो गया. लोबो के मुताबिक अब अगर किसी और चमत्कार की रिपोर्ट मिलेगी तो नई टीम बनाई जाएगी.
रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल
संपादनः एम गोपालकृष्णन