मलावी को अब भी मैडोना का इंतजार
८ अगस्त २०११मलावी के वीरान पड़े इस साइट को देखकर ऐसा लगता है कि शायद ही कभी यह सुपरस्टार मैडोना का मल्टी मिलियन डॉलर प्रोजेक्ट रहा होगा, जिसमें लड़कियों को डॉक्टर और इंजीनियर बनाने का सपना दिखाया था. मलावी की राजधानी के पास चिनखोता में सूनी पड़ी और रेत से ढंकी इमारत की छत सिर्फ यही सबूत है पॉप गायिका मैडोना के 1.06 करोड़ यूरो की अकादमी का. धन के दुरुपयोग और लोगों के असंतोष की वजह से इस प्रोजेक्ट को रोक दिया गया.
स्थानीय निवासी बाइसन कलिंगा कहते हैं, "यह सिर्फ एक फुटबॉल मैदान बन कर रहा गया है." अब यहां बुलडोजर काम नहीं करते. मलावी में मैडोना ने 2010 में एक अकादमी की स्थापना की नींव रखी थी. मैडोना ने मलावी से दो बच्चे भई गोद लिए हुए हैं. यह एक ऐसा देश है जिसे आसानी से नक्शे पर देखना मुश्किल है. नींव रखे जाने के एक साल बाद यहां स्कूल निर्माण को रोक दिया गया. नौकरी से निकाले गए मजदूरों ने मैडोना के खिलाफ केस किया है.
मैडोना के जवाब का इंतजार
इस बीच सारी परियोजना जांचों के घेरे में हैं. मैडोना की चैरिटी की जांच अमेरिकी आयकर विभाग कर रहा है. जबकि मलावी सरकार इस बात की जांच कर रही है कि मैडोना को जमीन कैसे मिली. लिलोएंग्वे के जिलाधिकारी पॉल कालीओम्बे कहते हैं, "शुरू में तो मैंने इसका स्वागत किया, लेकिन निजी तौर पर इस पूरे मामले को संशय के साथ देख रहा था. हकीकत में काम शुरू हुए बिना ही इसकी खूब चर्चा थी."
मैडोना की चैरिटी ने सवालों के जवाब नहीं दिए हैं. जनवरी में मैडोना ने कहा था कि अकादमी की योजना को इसलिए रोका गया है कि देश में मौजूद और स्कूलों की मदद की जा सके. अप्रैल में आखिरी बार मैडोना ने कहा था कि जल्द ही नई रणनीति का ऐलान किया जाएगा.विवाद जमीन लेने की प्रक्रिया पर भी था. जमीन अधिग्रहण के लिए किसानों को जो पैसे दिए गए उस पर वे संतुष्ट नहीं थे.
मैडोना की चैरिटी ने यह पैसे सरकार के जरिए दिए थे. कालीओम्बे कहते हैं, "ऐसा लगता है कि पैसा पाने वालों की सूची में कुछ भूत भी थे. हो सकता है कि अधिकारियों ने कुछ नामों को सूची में डाल दिया हो. लेकिन अब इस मामले की जांच पुलिस कर रही है."
कैसे सच होगा सपना ?
लेकिन चिनखोता के निवासियों को जवाब का इंतजार हैं. स्कूल तो तैयार नहीं ही हो पाया बल्कि उनका मैदान भी खराब हो गया. 52 वर्षीय तिएसेंट फोरोयाती कहती हैं, "लोग हैरान थे कि काम क्यों नहीं हो रहा है." फोरोयाती ने पहले कभी मैडोना का नाम नहीं सुना था. उसने पहली बार मैडोना के बारे में जाना जब उसने मलावी के दो बच्चों को गोद लिया.
मैडोना ने मलावी के बच्चों की मदद के लिए करोड़ों यूरो दिए हैं. यहां की 39 फीसदी आबादी रोजाना एक यूरो से कम में गुजारा करती है. प्रोजेक्ट के विफल होने से यहां के लोग निराश हैं. वे चाहते हैं कि मैडोना कम से कम उन सवालों का जवाब दें जिसका उन्हें इंतजार हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/आमिर अंसारी
संपादन: महेश झा