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मुरली बिना श्रीलंका का जीवन

अनवर जे अशरफ (संपादनः वी कुमार)२६ जुलाई २०१०

एक मुरलीधरन की मदद से श्रीलंका ने क्रिकेट की दुनिया में जो जगह बनाई है, उसके सामने उस जगह पर बने रहने की चुनौती होगी. मुरली के बगैर इम्तिहान की शुरुआत भारत जैसी मजबूत टीम से ही हो रही है. कोलंबो टेस्ट से.

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मुरली के जाने के बादतस्वीर: AP

गॉल का जश्न पूरा हो चुका है. दुनिया के सबसे कामयाब गेंदबाज की शानदार विदाई हो चुकी है. पटाखे थम चुके हैं. कोलंबो में नई शुरुआत हुई है. थोड़ी अधूरी सी क्योंकि फ्रेंच कट दाढ़ी वाला जादुई गेंदबाज ग्राउंड पर नहीं दिख रहा है. और श्रीलंका को साबित करना है कि वह मुरली के बगैर भी खेल सकती है.

औसत तौर पर हर टेस्ट मैच में छह से ज्यादा विकेट लेने वाले मुरलीधरन की फिरकी के जाल में फंस कर न जाने कितनी ही टीमों ने दम तोड़ दिया होगा. श्रीलंका की टीम पिछले दशक में एक औसत क्रिकेट टीम से निकल कर विश्वविजेता और दुनिया की ऊपर की टीमों में गिनी जाने लगी. इसकी सबसे बड़ी वजह मुरली का ही कमाल था.

President Mahinda Rajapaksha und Muttiah Muralitharan Preis Flash-Galerie
तस्वीर: AP

बल्लेबाजों को अपने स्पिन के भंवर में फंसाने वाले मुरलीधरन भी उनके चक्रव्यूह में कम नहीं फंसे. मुरली ने अपनी टीम के लिए शायद जितनी जीत अकेले दम पर दर्ज करा दीं, उतनी दूसरे सभी खिलाड़ियों ने मिल कर भी न की हों. लेकिन आखिरी मौके पर बल्लेबाजों के खेल क्रिकेट में श्रेय कोई बैट्समैन ले जाता. 18 साल के बेमिसाल करियर के दौरान कई बार श्रीलंका को कप्तान तलाशने पड़े. पर मुरली का नाम कभी सामने नहीं आया. दुनिया के बड़े गेंदबाजों अनिल कुंबले या शेन वॉर्न की तरह उन्हें भी कप्तान के योग्य नहीं समझा गया. कुंबले को तो करियर के आखिरी पड़ाव पर मौका मिल गया लेकिन मुरली या वॉर्न को नहीं.

उन्हें बेशक कप्तान न बनाया गया हो लेकिन वह खुद कप्तान की तरकश के सबसे खास तीर जरूर रहे. हो सकता है कि जब कोलंबो ग्राउंड पर भारतीय बल्लेबाज विकेट पर अटक जाएं, तो कुमार संगकारा की बेचैन निगाहें मुरली को तलाशने लगें. हो सकता है दूसरे सारे गेंदबाज वह न कर पाएं, जो मुरली अकेले कर सकते हैं. लेकिन उन्हें समझना होगा कि टीम को अब मुरलीधरन के बगैर खेलना है. सिर्फ 133 टेस्ट में 800 विकेट लेने वाले मुरली ने किस हिसाब से विकेट लिए हैं कि हर 22 रन देने के बाद उनकी झोली में एक विकेट आ गिरता. अभी श्रीलंका तो क्या, पूरी दुनिया में ऐसा गेंदबाज नहीं है.

श्रीलंका ने मुरली के दम पर आखिरी टेस्ट जीता है और श्रीलंका को अपनी गाड़ी वहीं से आगे बढ़ानी है. टेस्ट रैंकिंग में पहले नंबर की कुर्सी सामने दिख रही है और अगर भारत पर चढ़ाई कर दी जाए, तो रैंकिंग की अदला बदली हो सकती है. लेकिन सवाल फिर वही, क्या मुरली के बगैर यह संभव है.

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