रूसी किशोर के फर्राटा सपने
२३ जुलाई २०१३रूस इस समय 2014 में विंटर ओलंपिक और 2018 में फुटबॉल वर्ल्ड कप कराने की तैयारियों में जुटा है. पहली रूसी ग्रां प्री में रूसी ड्राइवर की हिस्सेदारी की संभावना ने देश में रोमांच और उम्मीद की भावना पैदा कर दी है. समझा जा रहा है कि रूस सोची ओलंपिक पार्क में तैयार किए जा रहे स्ट्रीट सर्किट पर रेस का आयोजन करेगा. लेकिन यह तभी हो पाएगा जब इसकी वजह से शीतकालीन ओलंपिक खेलों की तैयारी पर कोई असर न पड़े.
पिछले हफ्ते घोषणा की गई थी कि रूसी कंपनियों की तिकड़ी के साथ साउबर की नई पार्टनरशिप के तहत सिरोत्किन को एक डेवलपमेंट प्रोग्राम पर रखा जाएगा ताकि "उन्हें 2014 में टीम के रेसिंग ड्राइवर के रूप में तैयार किया जा सके." चूंकि सिरोत्किन सिर्फ 17 साल के हैं, अनुभव की कमी है और फॉर्मूला में रूसी भागीदारी को लेकर चुटकुलों के केंद्र में हैं, लेकिन उन्हें खुद भरोसा है कि वे यह कर सकते हैं.
वे कहते हैं, "फिलहाल मैं कम उम्र का हो सकता हूं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं हैं कि मैं तैयार नहीं होऊंगा. मेरे पास सीखने के लिए आधे साल से ज्यादा है. मैं अच्छे तैयारी के प्रोग्राम में हूं और मैं तैयार हो सकता हूं." इस समय सिरोत्किन फॉर्मूला रेनो 3.5 चैंपियनशिप में 9वें हैं. पिछले हफ्ते स्पीलबर्ग में हुए रेस में वे चौथे नंबर पर आए.
सिरोत्किन ने एक खेल वेबसाइट को बताया,"फॉर्मूला वन का ड्राइवर बनने का मौका हर दिन नहीं मिलता. हो सकता है कि इस सिरीज में और एक साल गुजारने से मैं ज्यादा तैयार होता, लेकिन एक साल बाद संभव है कि मेरे लिए फॉर्मूला वन का ड्राइवर बनने का मौका ही न हो."
सिरोत्किन अपना भविष्य साउबर के साथ संवारने के सपने देख रहे हैं तो टीम के मौजूदा ड्राइवर जर्मनी के नीको हुल्केनबर्ग ने हंगरी में होने वाली ग्रां प्री से पहले टीम में बढ़ती उम्मीदों को लगाम दी है. बताया जाता है कि साउबर की हाल की आर्थिक मुश्किलों के दौरान हुल्केनबर्ग को उनकी तनख्वाह नहीं मिली. उन्होंने कहा कि जर्मन ग्रां प्री में टीम की बेहतरी मृगमरीचिका हो सकती है. "कुछ दूसरे कारण हो सकते हैं कि हम नुरबुर्गरिंग पर मजबूत दिख रहे थे. असली जवाब कुछ रेसों के बाद मिलेगा."
स्विस फॉर्मूला टीम के प्रमुख पीटर साउबर को इस बात से खुशी हुई होगी कि उन्होंने हाल में रूसी कंपनियों के हस्तक्षेप के पहले माना था कि टीम गंभीर वित्तीय परेशानियां झेल रही थी. इसके बाद रूस की तीन कंपनियां सामने आईं और उन्होंने साउबर में शेयरों का बड़ा हिस्सा खरीद लिया. यह साउबर और फॉर्मूला वन के लिए बड़ा कदम था ही रूस के लिए भी एक महत्वपूर्ण पहल थी.
एमजे/एएम (एएफपी)