लेना के सामने यूरोविजन खिताब बचाने की चुनौती
९ मई २०११पिछले साल की प्रतियोगिता में जर्मनी की लेना मायर की जीत के साथ ही जर्मनी में एक बार फिर यूरोविजन को लेकर लोगों का दीवानापन बढ़ गया है. इस साल एक बार फिर लेना कॉन्टेस्ट में उतर रही हैं. हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि वो नंबर एक की कुर्सी तक नहीं पहुंच पाएंगी.
भरे होटल
ड्यूसलडॉर्फ में होटलों की बुकिंग दो हफ्ते पहले से ही बंद हो गई. जर्मन होटल एसोसिएशन के टोबियास वारनेके ने बताया, "ड्यूसलडॉर्फ के सभी होटल अभी से भर चुके हैं. यह होटल इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा मौका है." भीड़ को देखते हुए होटलों के दाम भी बढ़ गए हैं. वारनेके के अनुसार शो खत्म होने के बाद होटल एक बार फिर दाम कम कर देंगे लेकिन इस मौके को वह हाथ से नहीं जाने देना चाहते. भले ही यूरोविजन को ले कर बड़ी धूम हो लेकिन वारनेके के अनुसार फुटबॉल वर्ल्ड कप से इसकी तुलना करना ठीक नहीं है, "मेरे ख्याल में किसी ट्रेड फेयर से इसकी तुलना करना ठीक रहेगा.
ओस्लो से सीखें
पिछले साल यूरोविजन का आयोजन नॉरवे की राजधानी ओस्लो में हुआ. जब ड्यूसलडॉर्फ को यूरोविजन की मेजबानी का मौका मिला, तो पहले अधिकारियों को ओस्लो भेजा गया ताकि वहां जा कर उनके तजुर्बों से सीख ली जा सके. और लें भी क्यों ना, पिछले साल ओस्लो में यूरोविजन होने के बाद वहां सैलानियों की संख्या में भारी बढ़ोतरी देखी गई. ड्यूसलडॉर्फ भी इस मौके को गंवाना नहीं चाहता.
कई देशों में प्रसारण
यूरोविजन में 43 देशों से लोग हिस्सा लेंगे जो करीब 36,000 दर्शकों के सामने अपने गाने प्रस्तुत करेंगे. साथ ही ढाई हजार से अधिक पत्रकार भी यहां मौजूद रहेंगे, ताकि यूरोप भर में लोग घर बैठे कॉन्टेस्ट का मजा ले सकें. जर्मन प्रसारक एआरडी के अनुसार 12 करोर से अधिक लोग इसे टीवी पर देखेंगे. एआरडी के इंटरटेनमेंट मैनेजर थोमास श्राइबर कहते हैं, "इसमें कोई शक नहीं है कि ओलम्पिक खेलों और फुटबॉल वर्ल्ड कप के बाद यूरोविजन दुनिया भर में टीवी पर देखे जाने वाला सबसे बड़ा इवेंट है. हम देशों में इसका सीधा प्रसारण करते हैं - ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अमेरिका तक."
10 और 12 तारीख को सेमीफाइनल होंगे, इसके बाद 13 तारीख को पब्लिक ड्रेस रिहर्सल जिसमें जज अपने पसंदीदा गायकों को चुनेंगे और अंत में 14 तारीख को फाइनल, जहां लोगों के एसएमएस मायने रखेंगे. इस शो में किसी भी सिंगर के जीतने के लिए जजों का फैसला उतना ही जरूरी है जितना एसएमएस से वोट मिलना.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया
संपादन: आभा एम