वजन घटाना है तो खूब सोइए
११ जुलाई २०११अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रिशन में छपे इस अध्ययन के मुताबिक जो लोग कम सोते हैं और ज्यादा खाते हैं, उनकी ज्यादा ऊर्जा खर्च नहीं होती. राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के मुताबिक अमेरिका में पांच से सात करोड़ लोग कम नींद आने की समस्या से जूझ रहे हैं जिसका अहम कारण अलग अलग शिफ्टों में काम करना है.
ताजा अध्ययन करने वाली न्यूयॉर्क ओबेसिटी रिसर्च सेंटर की टीम की प्रमुख मैरी पीएरे स्टओंग का कहना है, "अगर आप अपना वजन नियंत्रित करना चाहते हैं तो कम सोने से कोई मदद नहीं मिलेगी."
वैसे हाल में हुए ज्यादातर अध्ययनों में यह बात साबित नहीं होती कि कम नींद आने से वजन बढ़ता है. उनमें इतना ही कहा गया कि सोना प्राथमिकता होनी चाहिए. स्टओंग की टीम ने अपने अध्ययन में 30 से 50 साल की उम्र के तीस महिला और पुरुषों को लिया गया जो अलग अलग समय में पांच रातों के लिए रिसर्च सेंटर में ही रहे और सोए. इस दौरान उन्हें कभी रात में नौ घंटे सोने दिया गया और कभी सिर्फ पांच घंटे ही आंखें मूंदने दिया गया. दोनों ही मौकों पर उन्हें पहले चार दिन के लिए नियंत्रित खुराक दी गई जबकि बाद के पांच दिन उन्हें अपनी मर्जी से कुछ भी और कितना भी खाने को कहा गया.
परीक्षणों में सामने आया है कि भले ही वे कितने घंटे सोए हों, लेकिन उन्होंने हर दिन 2,600 कैलोरी ऊर्जा खर्च की. जब उन्हें कम सोने दिया गया तो उन्होंने सामान्य नींद वाले दिनों की तुलना में खाने में 300 कैलोरी ज्यादा ऊर्जा ली. जब लोगों को भरपूर आराम करने दिया गया, तो उन्होंने हर दिन 2,500 कैलोरी खाईं जबकि कम सोने पर उन्होंने खाने से 2,800 कैलोरी हासिल कीं. अध्ययन कहता है कि अगर इस बात को आम जिंदगी पर लागू किया जाए तो कम सोने पर मोटापे का खतरा बढ़ता है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एन रंजन