शर्मिंदगी झेलती पाकिस्तानी सेना
२४ मई २०११हथियारों से चलने वाले ग्रेनेड, विस्फोटक, ऑटोमेटिक राइफलों और आत्मघाती बमों से लैस छह तालिबान लड़ाकों ने देश के सबसे बड़े शहर कराची के बीचोंबीच बने मेहरान बेस पर हमला किया. वे कंटीलों तारों से चाकचौबंद नौसैनिक ठिकाने में घुस गए. घंटों तक चली झड़प में 10 सुरक्षाकर्मियों को अपनी जान गंवानी पड़ी. उग्रवादियों ने इस हमले में दो पी-3सी ओरियन विमानों को तहस नहस कर दिया जिनकी कीमत 3.6 करोड़ डॉलर है. ये विमान एक साल पहले ही अमेरिका ने पाकिस्तान को दिए थे.
निशाने पर सेना
विश्लेषक और लेखक इम्तियाज गुल कहते हैं, "बेशक यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है. पाकिस्तान नौसेना के सामने अपने ठिकानों और संपत्तियों की सुरक्षा की चुनौती है. हाल के हमले और हत्याएं पाकिस्तानी राष्ट्र को अस्थिर और कमजोर करने की कोशिश है. उन्हें लगता है कि पाकिस्तानी सेना लगातार मजबूत बनी हुई है, इसीलिए उसे निशाना बनाया जा रहा है."
यह कराची में एक महीने के भीतर नौसेना पर चौथा और सबसे गंभीर हमला था. इससे पहले अक्टूबर 2009 में रावलपिंडी में सेना के राष्ट्रीय मुख्यालय में दो दिन तक उग्रवादी घुसे रहे और आखिरकार 22 मौतों के साथ उस हमले का अंत हुआ. 13 मई को ही पश्चिमोत्तर इलाके में एक पुलिस ट्रेनिंग सेंटर के बाहर हुए विस्फोट में 98 लोगों की जान गई.
जब रहमान मलिक ने मेहरान बेस पर अभियान खत्म होने की घोषणा की तो उन्होंने माना कि किसी भी उग्रवादी को पकड़ा नहीं जा सका. उन्होंने तो यह भी कहा कि हो सकता है कि दो हमलावर भागने में कामयाब रहे हों. उन्हें सलाह दी गई है कि मेहरान के गेट पर मीडिया से बातचीत न करें क्योंकि हो सकता है कि वहां कोई आत्मघाती हमलावर छिपा हो.
सवालों से घिरती सेना
पाकिस्तान में इसी महीने अल कायदा नेता ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद आतंकवादी हमलों की झड़ी लग गई है. सालों से पाकिस्तान में रह रहे ओसामा बिन लादेन को न पकड़ पाने की शर्मिंदगी उठा रही पाकिस्तान सेना के लिए अब अपने प्रतिष्ठानों की सुरक्षा ही भारी पड़ रही है. आम आदमी के लिए पाकिस्तान सेना मजबूत और काबिल संस्था है जो पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए मुस्तैद है. लेकिन हाल के हमलों में वह भी आतंकवादी चुनौती के सामने बेबस साबित हो रही है.
विश्लेषक रहीमुल्ला यूसुफजई कहते हैं, "हालिया हमले से मनोबल टूटेगा और यह गलत संदेश जाएगा कि इस देश में कुछ भी सुरक्षित नहीं है. इससे उग्रवादियों के इरादे मजबूत होंगे और वे अहम ठिकानों पर बड़े हमले करने की योजना बनाएंगे. इस हमले से उन लोगों को भी बल मिलेगा जो सोचते हैं कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार सुरक्षित नहीं हैं." पाकिस्तान के पास 100 से ज्यादा परमाणु हथियार बताए जाते हैं जो उसके प्रतिद्वंद्वी भारत से भी ज्यादा हैं, लेकिन विश्व समुदाय को बराबर उनके चरमपंथी के हाथों में पड़ने की चिंता सताती रही है.
वैसे अमेरिका का मानना है कि पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों की सुरक्षा में सक्षम है लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार एक अमेरिकी सैन्य टुकड़ी पाकिस्तान जाने को तैयार है. इसका काम सरकार के अस्थिर होने की सूरत में पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को सुरक्षित करना है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एमजी