हाथी चले बजार, कुत्ते भौंके हजारः सहवाग
१५ सितम्बर २०१०अपने खेल पर आलोचकों की टिप्पणियों से परेशान वीरेंद्र सहवाग का दर्द खुलकर सामने आ ही गया. सहवाग ने कड़े लहजे में कहा, "जब हाथी चलता तो बहुत सारे जानवर भौंकते हैं लेकिन हाथी चलता रहता है और उन्हें कोई अहमियत नहीं देता. अपने आलोचकों के साथ मैं भी यही व्यवहार करता हूं. मैदान में खिलाड़ी ही खेलते हैं, आलोचक नहीं. बैठ कर खिलाड़ियों की आलोचना करना बेहद आसान है. यह तो कोई भी कर सकता है."
सहवाग के दिल का दर्द फूट कर सामने आया और उन्होंने कह ही दिया कि उनके आलोचक एक दिन तो उन्हें भगवान बनाते हैं और अगले ही दिन उन्हें खलनायक की उपाधि दे देते हैं. "एक दिन तो आपको भगवान की तरह पूजा जाता है और दूसरे ही दिन आपको शिखर से नीचे उतार लिया जाता है. इसलिए मैं तो सिर्फ स्वाभाविक खेल दिखाने में विश्वास रखता हूं और इसके लिए पूरी मेहनत करता हूं."
सहवाग मानते हैं कि 2011 का वर्ल्ड कप जिताने के लिए भारत के पास मौका है. "भारत में खेलने का हमें फायदा होगा क्योंकि हम इन पिचों पर बचपन से खेल रहे हैं. इसका लाभ हमें जरूर मिलेगा. लेकिन बाकी टीमें भी भारत का दौरा नियमित रूप से करती रही हैं और उन्हें भी यहां की पिचों और परिस्थितियों का पता है." लेकिन सहवाग से जब पूछा गया कि क्रिकेट वर्ल्ड कप का मेजबान देश कभी नहीं जीत पाया है तो सहवाग ने उसका सीधा जवाब नहीं दिया.
"हम अपनी ओर से वर्ल्ड कप जीतने का सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेंगे. हम तो सिर्फ 100 फीसदी ही दे सकते हैं और हम यही करेंगे." वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम की तैयारी पर सहवाग का कहना है कि यह सवाल चयनकर्ताओं से पूछा जाना चाहिए. वनडे क्रिकेट में 200 रन के रिकॉर्ड पर सहवाग ने बताया कि बहुत से बल्लेबाज 50 ओवरों में 200 रन पूरे करने का माद्दा रखते हैं लेकिन खिलाड़ी रिकॉर्ड बनाने के लिए नहीं खेलते.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: आभा एम