एयर फ्रांस हादसे के लिए पायलट जिम्मेदारः रिपोर्ट
२५ मई २०११अमेरिकी अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में कहा गया है कि अटलांटिक महासागर के ऊपर उड़ान भरते समय विमान पायलटों को चेतावनी के सिग्नल दे रहा था. दो फ्लाइट रिकॉर्डरों से पता चला है कि हादसे से ठीक पहले विमान 35,000 फुट की ऊंचाई पर ऑटो पायलट में उड़ रहा था. तभी हवा के शक्तिशाली झटके लगे और पायलटों ने विमान का नियंत्रण अपने हाथ में लिया.
इसके बाद विमान की स्पीड खतरनाक ढंग से कम हो गई और कॉकपिट के भीतर एक के बाद एक चेतावनी के कई अलार्म बजने लगे. कई अलार्म बजने से पायलट घबरा गए और हड़बड़ी में उन्होंने शायद कुछ ऐसे फैसले किए जो दुर्घटना के कारण बने. वैसे सामान्य परिस्थितियों में उड़ान के दौरान झटके लगने पर ऑटो पायलट को ही बेहतर समझा जाता है. झटकों के दौरान ऑटो पायलट विमान की स्पीड और पोजिशन में पायलटों के मुकाबले ज्यादा तेजी से बदलाव करता है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विमान के कई स्वचालित उपकरण फेल हो गए. एयर फ्रांस के पायलट इमरजेंसी की ऐसी स्थिति के लिए प्रशिक्षित ही नहीं थे. एक जून 2009 के ब्राजील के रियो द जेनेरो शहर से पेरिस के लिए निकली यह फ्लाइट उड़ान भरने के सवा घंटे बाद ही अटलांटिक महासागर में समा गई. हादसे में विमान में सवार सभी 228 लोगों की मौत हो गई.
यह शक अभी भी बरकरार है कि विमान के एयरस्पीड सेंसरों में खामी आई होगी. एयरबस के विमान में 2003 से 2009 के बीच ऐसी गड़बड़ियों की 32 शिकायतें दर्ज की गई हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि शुक्रवार को जांचकर्ता पूरी रिपोर्ट पेश करेंगे.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: ए जमाल