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मनमोहन भ्रष्टाचार से वाकिफ, पर हैं लाचार

१५ अगस्त २०११

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भ्रष्टाचार को प्रगति की राह में सबसे बड़ी बाधा बताया है पर यह कह कर अपनी लाचारी भी जताई कि उससे निपटना आसान नहीं है. उन्होंने अन्ना हजारे के अनशन को गैर जरूरी कहा, जो मजबूत लोकपाल चाहते हैं.

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लाल किले की प्राचीर से मनमोहनतस्वीर: AP

भारत के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नई दिल्ली में ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से मनमोहन सिंह ने कहा कि किसी भी सरकार के पास भ्रष्टाचार से निपटने के लिए जादू की छड़ी नहीं है. प्रधानमंत्री ने कहा कि हर मोर्चे पर फैले भ्रष्टाचार से निपटने की जरूरत है और सभी राजनीतिक पार्टियों को इसमें कंधे से कंधा मिलाकर चलना होगा.

प्रधानमंत्री ने यह बात गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का अनशन शुरू होने से एक दिन पहले कही है. सरकार के प्रस्तावित लोकपाल से नाखुश अन्ना हजारे एक कड़ा भ्रष्टाचार विरोधी कानून चाहते हैं और इसी मुद्दे पर वह मंगलवार से नई दिल्ली में अनशन करने जा रहे हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि किस तरह का लोकपाल कानून बनाया जाएगा, यह संसद तय करेगी.

मतभेदों से वाकिफ मनमोहन

मनमोहन सिंह ने कहा, "मैं विधेयक के कुछ पहलुओं पर मौजूद मतभेदों से वाकिफ हूं. जो भी इस बिल से नाखुश हैं संसद में अपनी राय रख सकते हैं. राजनीतिक पार्टियां और यहां तक कि प्रेस भी अपनी नाराजगी जता सकते हैं. मैं यह भी मानता हूं कि इस मुद्दे पर भूख हड़ताल या आमरण अनशन शुरू नहीं होना चाहिए."

Manmohan Singh
कई चुनौतियों से जूझती मनमोहन सरकारतस्वीर: picture-alliance/ dpa

मनमोहन सिंह ने भ्रष्टाचार को देश की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा कहा लेकिन कहा कि इसके खिलाफ लड़ाई आसान नहीं है. मनमोहन सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार के विरोध से देश में ऐसा माहौल नहीं बनना चाहिए जिससे भारत की प्रगति ही सवालों के दायरे में आ जाए.

प्रधानमंत्री ने माना कि गरीबों के कल्याण के लिए जारी होने वाली रकम सरकारी अफसरों की जेब में चली जाती है. रिमझिम बारिश के बीच प्रधानमंत्री ने अपने 40 मिनट के भाषण में नक्सलवाद, आतंकवाद, अर्थव्यवस्था और महंगाई जैसे कई मुद्दों को छूआ लेकिन इस दौरान विदेश नीति की कहीं चर्चा नहीं हुई.

मनमोहन सिंह सरकार हाल के महीनों में एक के बाद एक कई घोटालों में फंसी जिससे अरबों रुपये भ्रष्टाचारियों की जेब में गए.

अन्ना का अनशन

देश के प्रशासनिक तंत्र में भ्रष्टाचार निचले स्तर तक घर कर गया है जिसकी मार आम आदमी पर पड़ रही है. इसीलिए अन्ना हजारे को जनता का व्यापक समर्थन प्राप्त है. इसी साल अप्रैल में जब उन्होंने दिल्ली के जंतर मंतर पर अनशन किया तो हजारों लोग उनके समर्थन में आए, जिनमें कई नामी गिरामी हस्तियां भी थी.

98 घंटे तक चले अनशन के बाद सरकार लोकपाल विधेयक लाने के लिए सहमत हुई. विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए सरकार के मंत्रियों और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बनी लेकिन बिल के स्वरूप पर दोनों पक्षों के बीच तीखे मतभेद पैदा हो गए. अब अन्ना हजारे सरकारी लोकपाल विधेयक के खिलाफ मंगलवार से फिर अनशन पर बैठ रहे हैं.

Indien Hungerstreik von Aktivist Anna Hazare gegen Korruption in New Delhi
फिर से अनशन की तैयारीतस्वीर: dapd

अन्ना हजारे की मुहिम की चर्चा से फेसबुक से लेकर टीवी चैनल और तमाम अखबार भरे पड़े हैं. उनका अनशन फिर सरकार के लिए एक चुनौती बन सकता है. अन्ना हजारे के निजी सहायक सुरेश पठारे कहते हैं, "जब सरकार जनमत की मांगों को सुन लेगी तो हमारा अनशन खत्म हो जाएगा." लेकिन हो सकता है कि इस बार अन्ना हजारे की मुहिम को पिछली बार की तरह समर्थन न मिले. उन्होंने कुछ विरोधाभासी बयान दिए हैं.

आलोचक कह रहे हैं कि वह सरकार को ब्लेकमैल कर रहे हैं. नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक के प्रमुख डीएच पाई पानादिकर कहते हैं, "मनमोहन सिंह वैसे ही कमजोर बने हुए हैं जैसे वह थे, लेकिन शायद अन्ना हजारे की मुहिम को इस बार वैसा समर्थन न मिले जैसा सोचा जा रहा है."

आतंकवाद पर ढील नहीं

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि मुंबई में हुए हालिया तीन बम धमाके इस बात का संकेत हैं कि आतंकवाद के खिलाफ सतर्कता में किसी प्रकार की ढील नहीं दी जा सकती. उन्होंने कहा, "मुंबई में पिछले महीने हुए धमाके हमें चेताते हैं कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कोई ढील नहीं दी जा सकती. यह लंबी साझा लड़ाई है जिसमें भारत सरकार, राज्य सरकारों और आम आदमी को एकजुट होना पड़ेगा. 13 जुलाई को दादर, जावेरी बाजार और ओपेरा हाउस में हुए धमाकों में 25 लोग मारे गए.

लाल किले की प्राचीर से मनमोहन सिंह ने नक्सलवाद की समस्या पर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा, "हम नक्सलवाद की चुनौती से निपटने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं. हम हर उस वजह को खत्म कर देना चाहते हैं जिसकी वजह से यह समस्या पैदा होती है." उन्होंने बताया कि 60 पिछड़े और आदिवासी बहुल जिलों के विकास के लिए नई योजना तैयार की गई है जिस पर दो साल में 3,300 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.

NO FLASH Präsidenten Palast in Neu Delhi
आर्थिक तौर पर भारत ताकत के रूप में उभर रहा है लेकिन आम आदमी के पास बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैंतस्वीर: DW

महंगाई पर मनमोहन

मनमोहन सिंह ने महंगाई काबू करने को अपनी सरकार की बड़ी प्राथमिकता बताया. लेकिन उन्होंने कहा कि महंगाई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक परिस्थितियों के कारण बढ़ रही है. मनमोहन सिंह ने कहा, "बढ़ती कीमतों को रोकना किसी भी सरकार की बुनियादी जिम्मेदारी है. कभी कभी हमारे सामने ऐसी स्थिति होती है जिसमें बढ़ते दामों की वजह देश से बाहर होती हैं. अंतरराष्ट्रीय बजार में हाल के समय में पेट्रोलियम पदार्थ, अनाज और खाद्य तेलों के दाम तेजी से बढ़े हैं."

हाल में जमीन अधिग्रहण को लेकर पैदा कई विवादों के मद्देनजर मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार जल्द ही नया भूमि अधिग्रहण कानून लेकर आएगी ताकि इस तरह के संवेदनशील मुद्दों पर तनाव को टाला जा सके. प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार 117 साल पुराने मौजूदा जमीन अधिग्रहण की जगह नया कानून लाएगी.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः महेश झा

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