तीस घंटे तैरी, लेकिन हवाओं ने रोका
९ अगस्त २०११डाएना को 166 किलोमीटर वाले रास्ते पर बीच में ही समुद्र से बाहर निकाले जाने के बाद उनकी टीम के सदस्यों ने उनके ट्विटर अकाउंट पर कहा, "डाएना ने स्वयं तैराकी रोकने का फैसला किया, कारकों का मिश्रण सुरक्षित तैराकी जारी रखने के लिए काफी था." उनके साथ जा रही एक नौका पर सवार सीएनएन के रिपोर्टर ने बताया कि जब उन्हें समुद्र से बाहर निकाल कर साथ जा रही एक नाव पर लाया गया तो वे उल्टी कर रही थीं.
निराश लेकिन अच्छा मूड
बाद में नाव पर अंडे का नाश्ता करते हुए नौएड निराश लेकिन अच्छे मूड में दिख रही थीं. बाद में उन्होंने एक ट्वीट संदेश में कहा, "मुझे लगा कि यह मेरी घड़ी है. मैं नाकाम महसूस नहीं कर रही हूं, लेकिन हमें और सौभाग्य की जरूरत थी."समुद्र से बाहर निकाले जाने से पहले डाएना नौएड ने 29 घंटे की तैराकी पूरी कर ली थी. उनकी टीम को क्यूबा से फ्लोरिडा जाने में 60 घंटे लगने की उम्मीद थी. सीएनएन के प्रोड्यूसर मैट स्लोएन ने पहले रिपोर्ट दी थी कि नौएड कंधों में दर्द और अस्थमा के संकेत महसूस कर रही थी.
इसके पहले डाएना क्यूबा की राजधानी हवाना के पश्चिमी हिस्से में स्थित मरीना हेमिंग्वे तट पर रविवार पौने 8 बजे शाम गरम समुद्र में कूदी थीं. लगभग 24 घंटे तक पूरी ताकत से तैरते रहने के बाद उनका सामना तेज हवाओं और मुश्किल समुद्री लहरों से हुआ. तेज लहरें उन्हें 24 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उनके रास्ते से हटा ले गईं.
पहली कोशिश 28 की उम्र में
दक्षिणी फ्लोरिडा में पली बढ़ी डाएना ने पहली बार 1978 में 28 साल की उम्र में क्यूबा से फ्लोरिडा तक तैरने की कोशिश की थी. लेकिन तेज लहरों के कारण अपने प्रयास में विफल रहीं. मई 1997 में इस कारनामे को ऑस्ट्रेलिया की 22 वर्षीया सूजन मैरोनी ने सफलता के साथ पूरा किया था. अपनी युवावस्था में डाएना ने कई रिकॉर्ड बनाए हैं. 1975 में उन्होंने 8 घंटे से कम समय में मैनहटन के इर्द गिर्द तैरने का रिकॉर्ड बनाया जबकि 1979 में बहामस में बिमिनी से फ्लोरिडा तक 165 किलोमीटर दूरी तैर कर पार करने का रिकॉर्ड बनाया.
क्यूबा से फ्लोरिडा तक तैरने के अपने लक्ष्य के बारे में बुजुर्ग तैराक ने कहा है कि उनका मुख्य लक्ष्य बुजुर्गों को यह महसूस कराना है कि वे इस उम्र में भी बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं. मिशन शुरू करने से पहले डाएना नौएड ने कहा था, "हमारे पास एक ही जिंदगी है. यह एकतरफा रास्ता है, इसलिए जिएं, जितना हो सके जिएं."
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: ए कुमार