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नासिक में लाहौर जैसे हमले की तैयारी!

१४ सितम्बर २०१०

भारत के तीन सैन्य ठिकानों पर आतंकियों के हमले की आशंका महाराष्ट्र के आतंक निरोधी दस्ते ने जताई है. एटीएस का दावा कि एलईटी का संदिग्ध आतंकी लाहौर पुलिस अकादमी जैसा हमला भारतीय सैन्य ठिकानों पर करने की कोशिश में था.

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पुणे धमाके के सिलसिले में धराए बेग और बिलालतस्वीर: AP

नासिक शहर में तीन सुरक्षा ठिकाने और भारतीय सेना के देओलाली कैंप की टोह लश्कर ए तैयबा के संदिग्ध आतंकी शेख लालबाबा मोहम्मद हुसैन उर्फ बिलाल ले रहा था. एटीएस के वरिष्ठ अधिकारी का दावा है कि 2009 में पाकिस्तान के लाहौर शहर में पुलिस अकादमी पर हुए हमले जैसा हमला पाकिस्तान के चरमपंथी संगठन एलईटी के निर्देशों पर भारत के तीन सैन्य ठिकानों पर करने की योजना बनाई जा रही थी.

एटीएस अधिकारी ने बताया कि देओलाली कैंप, महाराष्ट्र पुलिस अकादमी और नासिक में पुलिस आयुक्त भवन शेख उर्फ बिलाल का निशाना था. 30 मई 2009 को भारी हथियारों के साथ आतंकियों ने लाहौर में पुलिस अकादमी पर हमला कर किया जिसमें 27 पुलिसकर्मी मारे गए. यह संघर्ष करीब आठ घंटे चला, जिसमें चार आतंकियों को भी मार गिराया गया.

बिलाल को हाल ही में पुणे में जर्मन बेकरी धमाके के सिलसिले में पकड़ा गया है. वह नासिक में दो जाली नामों के साथ रह रहा था. मई से उसने इन तीन सैन्य ठिकानों पर नज़र रखी हुई थी और इसके लिए मिर्जा हिमायत बेग ने उसे निर्देश दिया. बेग को भी पुणे बेकरी में धमाके के सिलसिले में पुलिस ने गिरफ्तार किया है. एटीएस अधिकारी का कहना है कि बेग को एलईटी से निर्देश मिल रहे थे.

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नासिक में तीन जगहों पर हमले की फिराक में थे...तस्वीर: UNI

27 साल का बिलाल नासिक में अमीन माणिक पारिख और सुतार इकबाल के नाम से रह रहा था और उसे ग़ैर क़ानूनी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. बिलाल नासिक के सतपुर इलाके में लेथ मशीन ऑपरेटर का काम कर रहा था. एटीएस अधिकारी ने बताया कि शिफ्ट में काम करने के दौरान बिलाल को जब भी समय मिलता वह इन ठिकानों पर जाता. उसने तीनों सुरक्षा ठिकानों के प्रवेश द्वार, बाहर निकलने के रास्तों के बारे में जानकारी जमा की. बिलाल और बेग से इन सुरक्षा ठिकानों के फोटो भी जब्त किए गए हैं.

महाराष्ट्र के आतंक निरोधी दस्ते का कहना है कि बिलाल ने जनवरी 2008 से 2010 के बीच पाकिस्तान में लश्कर ए तैयबा के शिविरों में प्रशिक्षण लिया जहां उसे आधुनिक हथियारों को चलाने और बम बनाने की ट्रेनिंग दी गई. वह बांग्लादेश और नेपाल की सीमा से तीन बार भारत में घुसा.

पुलिस का कहना है कि जनवरी में बेग को मोहसिन चौधरी, मोहम्मद अहमद जरार सिद्दीबाप्पा उर्फ यासिन ने इंडियन मुजाहिदीन कहे जाने वाले संगठन के सदस्यों के साथ लातूर के उद्गिर में इंटरनेट कैफे में बातचीत की. यहीं उन्होंने पुणे की जर्मन बेकरी में धमाका करने का षड्यंत्र रचा. बताया जाता है कि 2006 में औरंगाबाद में हथियारों की चोरी के मामले में ढूंढे जा रहे जैबुद्दीन अंसारी का संपर्क बेग के साथ था.

एटीस के अधिकारी का कहना है कि बेग को बम बनाने की ट्रेनिंग के बाद ढाई लाख रुपये कोलंबो में मिले और फिर 13 फरवरी को पुणे बम धमाके के बाद मोहसिन से 50 हज़ार रुपये मिले. अधिकारी का कहना है कि बेग थोड़े थोड़े समय के बाद ये पैसे किसी व्यक्ति के खाते में जमा करता था. इस खाते को सील कर दिया गया है.

रिपोर्टः पीटीआई/आभा एम

संपादनः वी कुमार

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